20160711

शाहरुख खान इंटरव्यू -01
गौरव नहीं बनता तो नहीं स्वीकारता यह फिल्म : शाहरुख खान
शाहरुख खान की आगामी फिल्म फैन में शाहरुख सुपरस्टार और फैन दोनों ही भूमिकाओं में हैं. इस फिल्म ने उनसे बतौर कलाकार सिर्फ अभिनय नहीं कराया, बल्कि तकनीकी रूप से भी यह फिल्म काफी अलग है. हॉलीवुड की फिल्मों में जो तकनीक कुछ सेकेंड्स के लिए इस्तेमाल किये गये हैं. उस तकनीक का इस फिल्म में दो घंटे इस्तेमाल किया गया है. शाहरुख मानते हैं कि अगर वे गौरव नहीं बनते तो वे यह फिल्म नहीं स्वीकारते. अपनी 25 साल के सफर से वे बेहद संतुष्ट हैं. बेटे का नाम आर्यन ही फिल्म में उनके किरदार का भी ंनाम है, मगर मानते हैं कि गौरव का किरदार नहीं निभा पाता उनका बेटा...शाहरुख खान की यह खासियत है कि वे अच्छे वक्ता है, क्योंकि वे अच्छे श्रोता हैं. वे आपके सवालों को ध्यान से सुनने के बाद ही स्पष्ट रूप से जवाब देते हैं. बॉलीवुड के युवा कलाकारों को शाहरुख से इस कला की ट्रेनिंग तो लेनी ही चाहिए कि जब सवाल पूछे जायें, तो किस तरह उनका टालने वाला व्यवहार न हो. अपनी फिल्म फैन और जिंदगी के कई दिलचस्प पहलुओं से शाहरुख ने अनुप्रिया अनंत और उर्मिला कोरी को अवगत कराया. उन्होंने प्रभात खबर डॉट कॉम से खास बातचीत की. इस लंबी बातचीत के प्रमुख अंश हम प्रभातखबर डॉट कॉम के पाठकों के लिए  किस्तों में लेकर आयेंगे. प्रस्तुत है पहली किस्त 

इस फिल्म में वास्तविक जीवन की छवि को रील लाइफ में दर्शाया है आपने कैसा अनुभव रहा आपका?
मुझे अगर गौरव का किरदार निभाने का मौका इस फिल्म में नहीं दिया जा रहा होता. मतलब अगर फिल्म में मुझे सिर्फ कहा जाता कि मैं स्टार की भूमिका निभाऊं. और गौरव का किरदार कोई और निभायेगा, तो शायद मैं यह फिल्म हरगिज नहीं करता. क्योंकि फिर वह बेमजा हो सकता था.  फिल्म की कहानी फिर प्री रिक्विसिट हो जाती.स्टार का किरदार मुझे लगता है कि कोई भी कर सकता था. फिर दूसरी बात है कि मैंंने चूंकि 25 साल इंडस्ट्री को दिये हैं तो लोग भी फिल्म देखेंगे तो महसूस करेंगे कि हां आर्यन खन्ना स्टार है. वह स्टैबलिश करने में दिक्कत नहीं होगी. आप देखें तो फिल्म में मेरे ही जन्मदिन के सीन लिये गये हैं. जैसे काजोल और मेरी फिल्म में लोगों को यह नहीं बताना होता है कि प्यार होगा इसमें. तो मैं मानता हूं कि आर्यन खन्ना को देख कर लोगों को लगेगा चूंकि मेरा चेहरा उन्हें नजर आयेगा तो वे महसूस करेंगे कि हां किसी सुपरस्टार की कहानी कही जा रही है. मुझे लगता है कि जैसे मेरा किरदार है, वह हिंदी सिनेमा का वह कोई भी स्टार जिसने कम से कम 10 साल 15 साल या फिर लंबी सदी दी है इस इंडस्ट्री को. वह यह किरदार निभा सकते. जैसे अमितजी, सलमान, आमिर, अक्षय, अजय कोई भी. ताकि लोग उनको समझ सकें.  तो हमने इस फिल्म में मेरी ही फिल्में बाजीगर, दिलवाले वगैरह के फुटेज लिये हैं. इस फिल्म की जरूरत थी कि शक्ल मिलती-जुलती होनी चाहिए थी. फिल्म में मेरा एंट्री सीक्वेंस ही है कि मैं लोगों को वेब कर रहा हूं. यह सब मेरी जिंदगी के वास्तविक फुटेज हैं. 
कोटेशन : जिन्होंने लंबी पारी खेली है इस इंडस्ट्री में वही बन सकते थे फिल्म में आर्यन खन्ना. मेरी जिंदगी के कई वास्तविक फुटेज हैं फिल्मों में.

आपके बेटे आर्यन का नाम आपने इस फिल्म में लिया कोई खास वजह, क्या आपको लगता है कि वह आपके साथ इस फिल्म में किरदार निभा सकते थे?
मुझे नहीं लगता कि अभी उसे इतनी एक्टिंग आती है. ये जो गौरव का रोल है. इसमें थोड़ा एक्सपीरियंस ज्यादा चाहिए. मुझे लगता है कि ऐसा कोई भी व्यक्ति गौरव का किरदार नहीं निभा सकता, जिसके पास अनुभव न हो फैनडम का. स्टारडम का. मैं यह नहीं कह रहा कि मैं ही कर सकता था या मैंने बहुत अच्छा किया है. लेकिन जो भी एक्टर करे, उसके पास अनुभव जरूरी है, क्योंकि इसमें बहुत सारे क्राफ्ट और तकनीक भी है. कैमरा के साथ.  ऐसे भी डबल रोल करना काफी कठिन होता है. मैंने जब डुप्लीकेट में किया था. काफी कठिनाई आयी थी. इसमें होता है कि हाथ नहीं आना चाहिए, कोई होता नहीं है. आपको सोच कर अभिनय करना पड़ता है, तो इसके लिए फिल्मों का अभिनय जरूरी है. और मुझे लगता है कि  मेरा बेटा यह किरदार निभाने के लिए टू हैंडसम हो जायेगा. 
कोटेशन : गौरव का किरदार निभाने के लिए फिल्मों का अनुभव जरूरी 
अब भी अभिनय करते वक्त नर्वस होते हैं. चुनौती लगती है हर फिल्म?
मैं मानता हूं कि हर फिल्म एक चैलेंज की तरह ही होती है. हर फिल्म में चुनौती होती है.हां, मगर जब आप पांच-छह सालों तक एक ही काम करते रहते हैं तो थोड़ा आत्मविश्वास तो आता ही है. मुझे लगता है कि अभिनय करना आसान है, लेकिन अभिनय के बारे में बातें करना मेरे लिए बोरिंग जॉब हो जाता है. मैं अभिनय को सीरियस लेता हूं. लेकिन उसके बारे में बातें करना सीरियस नहीं लेता. लेकिन आप जब कमर्शियल जोन के एक्टर होते हैं, जैसा कि मैं हूं तो खुद को लॉजिक देकर समझाना कि ये ठीक है या नहीं. खुद को कनविंस करना कठिन होता है. जैसे फिल्म दिलवाले का संवाद कि हम शरीफ क्या हुआ सारी दुनिया ही बदमाश हो गयी. यह हीरो टाइप साउंड करता है. और ऐसी फिल्में जब करता हूं, सो कॉल्ड हीरो टाइप तो खुद ही कनविंस करना पड़ता है कि जो दिखाया जा रहा है. सच है. अब जैसे हैप्पी न्यू ईयर उसमें मेरी एंट्री बॉक्सर की तरह हुई है. और मैं अपनी ही लाइन्स का मजाक उड़ा रहा हूं. अगले  सीन के अंदर मैं बैंक रॉबरी की प्लानिंग कर रहा. जीनियस की तरह. तीसरे सीन के अंदर मैं लड़की के साथ रोमांस भी कर रहा हूं. और दूसरे लोगों का टीचर बन गया हूं. तो यह कमर्शियल फिल्म की स्टोरीलाइन होती है. लेकिन कभी कभी खुद को कनविंस करना पड़ता है. अब आप देखें तो फिल्म में मुझे बॉक्सर क्यों दिखाया. पूरी फिल्म में तो मैंने कहीं बॉक्सिंग की ही नहीं है. हीरो टाइप कमर्शियल फिल्म अधिक कठिन होता है मेरे लिए. लेकिन जब मैं रीयल जोन में जाता हंू जैसे चक दे, फैन, स्वेदस मुझे लगता है कि सारी दुनिया मदद करती है. लाइन्स हेल्प करती है. वातावरण मदद करती है. अब जैसे इस फिल्म में गाना नहीं है. तो इसलिए नहीं है, क्योंकि हम चाहते हैं कि जब आप यह फिल्म देख कर जायें तो आपको लगे कि गौरव रियल था. रीयल लोग ऐसे गाना नहीं गाते हैं. तो लोगों को यह लगे कि वह शाहरुख नहीं था, कोई असली आदमी था. और आप घर गौरव को लेकर जायें. यही वजह है कि ऐसी फिल्में करते हुए मुझे मेरे कॉस्टयूम, मेरा लुक, सबकुछ मदद करते हैं. को स्टार्स मदद करते हैं. मेरे डायलॉग मदद करते हैं. मुझे लगता है कि यह कम चैलेंजिंग होता है. रीयल लाइफ किरदार निभाना. जैसे वीर-जारा कमर्शियल फिल्म थी तो अधिक कठिन थी. रानी से मैं इस बात का जिक्र कर रहा था. कि हमने 10 टेक लिया था.हमलोग हंस रहे थे. और यशजी गुस्सा भी हो गये थे कि जाओ पैकअप नहीं करेंगे शूट. यह कनविंस करना खुद को कि मैंं 60 साल का हूं. काफी कठिन था. यह अगर कमर्शियल फिल्म नहीं होती तो हो सकता है कि वहां रानी नहीं आती. सुहानी की तरह कोई छोटी लड़की आतीं. तो उसको बेटी कहना आसान होता. इस लिहाज से रईस भी रियलिस्टिक फिल्म है. अगर हम गाना भी कर रहे हैं रईस में,  तो कोरियोग्राफी भी इस तरह कर रहे हैं कि मैं अचानक से उसमें बेस्ट न दिखने लगूं. गैंगस्टर किस तरह अपने मोहल्ले में डांस करेगा.तो गैंगस्टर कैसे नाचेगा. मैंने उसी तरह डांस किया है. 
कोटेशन: कमर्शियल किरदार हैं अधिक कठिन. रियलिस्टिक किरदार रियल होते तो सारी दुनिया, माहौल, वातावरण से मदद मिल जाती है.
आपकी अब तक के 25 साल के सफर को किस तरह देखते हैं आप और क्या आपको लगता है कि आपकी क्षमता का अब भी पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया है?
मेरे निर्देशक करन जौहर, संजय लीला भंसाली, आदित्य चोपड़ा, मनीष, अजीज मिर्जा जो कि मुझे जानते हैं. वे मुझे कहते हैं कि मेरे पोंटेंशियल का सही इस्तेमाल नहीं किया गया है. लेकिन वे मेरे लिए सिर्फ फिल्में तो लिखेंगे नहीं( हंसते हुए) हां मगर कुछ फिल्मों को देख कर मुझे लगा कि मेरी क्षमता का सही से इस्तेमाल नहीं हुआ है. रब ने बना दी जोड़ी में आदी ने कोशिश की कि वह थोड़ा अलग टच दे, नकली उसका बेस है. मगर सूरी को रीयल टच देने की कोशिश की है. और मुझे लगता है कि आदी की वजह से ही मुझे रोमांटिक इमेज मिली. आदी ने ही कहा कि मुझे फैन करनी चाहिए.  मुझे नहीं पता कि मुझे किस तरह की फिल्में करनी चाहिए. लेकिन खुशी मिलती है, जब संजय लीला भंसाली ने मुझे कहा था कि अगर मैं देवदास नहीं करता, तो वह यह फिल्म नहीं बनाते. उन्होंने कहा था कि मुझे तुम्हारी आंखें देख कर देवदास की आंखें याद आती हैं. ऐसा कहा था उन्होंने. उस वक्त मैं बहुत बड़ा सुपरस्टार था भी नहीं.तो जब कोई निर्देशक इतना विश्वास दिखाता है तो मैं भी अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता हूं कि विश्वास जीत सकूं. फिर मैं अपने क्राफ्ट पर काम करता हूं. और जब कभी मेरे मन मुताबिक मुझे फिल्म नहीं मिलती, तो भी मैं उसमें अवसर तलाशने की कोशिश करता हूं कि चलो कहानी के आधार पर नहीं तो तकनीकी रूप से फिल्म अलग होगी. जैसे मुझे वह फिल्म की कहानी बहुत अच्छी लगी थी. जॉली एलएलबी. अरशद वाली. लेकिन उस वक्त मेरे पास वक्त नहीं था तो मुझे यह गलत लगा था कि मैं उन्हें इंतजार कराऊं. तो उस तरह की फिल्म शायद मेरे लिए कुछ अलग होती. लेकिन मंै कर नहीं सका था. चकदे के लिए आदी ने किसी और को कास्ट किया था. उसने किसी के साथ ट्रायल भी किया.लेकिन उस वक्त आदी ने कहा कि चलो हम इंतजार करेंगे एक साल. लेकिन तेरे साथ ही करेंगे. और मेरी वजह से सारी लड़कियों की कास्टिंग दोबारा से हुई थी. तो मुझे जब कोई ऐसी फिल्म मिलती है, जिसका किरदार मुझे खुशी देता है. जैसे आनंद अभी द्वारफ का किरदार लिख रहे हैं तो यह इंटरेस्टिंग है कि वह एक बिग स्टार को ले रहे हैं और फिर उसे उस किरदार में ढालेंगे तो  काफी दिलचस्प लगी मुझे. तो ऐसे में जब मुझे मौके मिलते हैं तो मैं अपना पोटेंशियल दिखाता हूं. और अगर न मिले  तो जो रहता है खुश रहता हूं. 
कोटेशन : 1.संजय लीला ने कहा था, देवदास की आंखें और तुम्हारी आंखें एक सी हैं. 
2.जॉली एलएलबी की कहानी बेहद पसंद आयी थी. मगर अफसोस नहीं कर सका था
3. आदी ने चकदे के लिए किसी और को कास्ट किया था. लेकिन बाद में उन्होंने फिर एक साल इंतजार किया. सारी लड़कियों की भी री कास्टिंग हुई थी.
आपको युवा दिखाने के लिए जो तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. वह क्या है?
 पहले तो प्रोस्थेटिक लगता है. जो कि आंख के नीचे से लगता है.इसमें चार-पांच घंटे लगते हैं. आंख बड़ी की गयी है. मेरी आइब्रोज का शेप ऐसा है, तो हमने इसको सीधा किया है. नाक छोटी की है. होंठ और दांत को इनहांस नहीं किया है. एक्टिंग करते वक्त बस ध्यान दिया है. थोड़ा वजन कम किया है. इसकी शूटिंग के बाद इसी मेकअप के साथ सारे के सारे सीन एक ही लाइट में शूट करना पड़ता है और यह लाइट लॉस एंजिल्स में ही उपलब्ध है. वहां बड़ा सा बॉल होता है. तो वहां जाकर जो चीजें यहां की होती हैं. वहां जैसे 200 एक्सप्रेशन हैं. उसे कवर करते हैं. और वहां जब कैमरा रोल होता है तो एक सेकेंड के अंदर कई तसवीरें खींचती हैं.एचडी होती है. फिल्म को जब टच अप करते हैं तो उन्हीं तसवीरों को देख कर कि वह सेम एक्सप्रेशन लगे. प्लास्ट होता है. पहली बार यह पूरा प्रोसेस देखने के लिए सात या आठ सेकेंड लगते हैं. 300 लोगों को 24 घंटे काम करना पड़ता था. तो हमने सीन कैसा किया यह हमें तीन साढ़े तीन महीने बाद देखने को मिलता था. पिछले 10 दिन में हमने ज्यादातर सीन देखे.यही वजह है कि हॉलीवुड में भी दो तीन मिनट के लिए इस्तेमाल किया है इस तकनीक का. जैसे कैप्टन अमेरिका है. एंटमैन में. लेकिन वह बेसिक है. लेकिन इस फिल्म में पूरे दो घंटे के लिए किया है और वह काफी कठिन रहा. 12-12काम करते थे और 7-8 सेकेंड का सीन होता था.
आप किसके फैन हैं?
ैम्मैं अपने बच्चों का फैन हूं. क्योंकि वह जब मेरे पास नहीं होते.तब भी मैं उन्हें याद करता हूं और उनके बारे में सोच कर खुश होता हूं. मैंने अपनी वैनिटी में भी उनकी तसवीरें लगा रखी हैं तो मैं यही कहूंगा कि मैं उनका ही फैन हूं.




फैन्स का प्यार होता है अनकंडीशनल : शाहरुख खान 
शाहरुख खान फिल्म फैन में अलग ही अवतार में नजर आ रहे हैं. वे इसे अपने करियर की खास फिल्मों में से एक मानते हैं. एक सुपरस्टार की जिंदगी में फैन क्या अहमियत रखते हैं...इसी विषय को लेकर मनीष शर्मा ने इस फिल्म का निर्माण किया है. शाहरुख की व्यक्तिगत राय है कि फैन नहीं तो सुपरस्टार्स नहीं. लेकिन फिल्म की कहानी कुछ और ही बयां करती है. फिल्म व कई अन्य पहलुओं पर शाहरुख खान ने उर्मिला कोरी व अनुप्रिया अनंत से खास बातचीत की.

 फैन के ट्रेलर में लगातार फैन के ओबसेशन और कनेक् शन की बात की गयी है. तो क्या आप मानते हैं कि एक फैन का ओबसेशन और कनेक् शन के बीच कुछ रिश्ता है.
फैन की परिभाषा दरअसल, जो हमने सोच रखी है, वह यही है कि जो बेइतहां प्यार करें. एक फैन जो दूर है. वह साउंड ओबसेसिव करता है. लेकिन उसका प्यार अनकंडिशनल वाला ही प्यार है. दूर करने वाले लोग दरअसल, मुझे लगता है कि ज्यादा प्यार करते हैं. नजदीक वाले लोग अधिक कंडिशन लगाने लगते हैं. गर्लफ्रेंड के साथ. या परिवार के साथ कि ये मत करो. वो करो. फैन का प्यार वैसा होता है कि आप जो भी करेंगे मैं आपको प्यार करता रहूंगा. बिना किसी जजमेंट के.बुरा करोगे तो मैं डिफेंड करूंगा. अच्छा करोगे तो अच्छा. मुझे लगता है कि ओबसेशन नहीं है.अनकंडिशनल लव है. कभी-कभी नॉर्मल प्यार भी ऐसा लगने लगता हंै. तो मैं नहीं मानता कि कनेक् शन और आॅबसेशन सेमथिंग है.
इस फिल्म में आपका फैन आपका लुकअलाइक है. तो इसकी कहानी के अनुसार कितनी जरूरत थी और आप जब निजी जिंदगी में अपने लुकअलाइक को देखते हैं तो क्या महसूस करते हैं?
पहले जब हमने यह फिल्म सोची तो एक बात तय कर ली थी कि डबल रोल नहीं लगनी चाहिए कहीं से. मकसद यह जरूर था कि जरूर लगना चाहिए कि दो किरदार है. अगर मेरे साथ मनीष फिल्म बनाना चाहते थे. और शायद ऐसा इसलिए था, क्योंकि रियल में ऐसा कोई एक्टर चाहिए था जिसने 10-15 साल काम किया हो, उसका बॉडी आॅफ वर्क हो. जैसे जो हमने अर्काइव फोटोज इस्तेमाल किये हैं, वह वास्तविक हैं. अगर ऐसा नहीं होता, तो आपको फिर उसको शूट करना पड़ता. स्टार को समझाना पड़ता कि वह स्टार की तरह बिहेव करे. तो अभी क्या है कि मेरी अपनी एक जर्नी रही है 20-25 साल की. तो मनीष कोशिश थी कि हम शाहरुख की तरह लुकलाइक लायें, लेकिन वह शाहरुख न हो. बस कि उस फैन में  झलक हो आर्यन खन्ना की.फिल्म में कभी कभी ऐसा लगे कि फैन स्टार जैसा है और कभी-कभी न भी लगे कि वह स्टार जैसा है. और मैं जब निजी जिंदगी में किसी लुकअलाइक देखता हूं तो मुझे लगता है कि मैं ही ज्यादा हैंडसम हूं(हंसते हुए).
गौरव के किरदार में आप अपनी उम्र से कम उम्र के नजर आ रहे हैं. बतौर एक्टर अपने उम्र से कम उम्र का किरदार निभाना कठिना होता है या अधिक उम्र का किरदार?
गौरव का जो इस फिल्म में मेकअप है, शायद बॉलीवुड में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी को जवान दिखाने के लिए पॉसथेटिक मेकअप का इस्तेमाल किया गया है. जैसे कपूर एंड सन्स में ऋषि कपूर साहब को बड़ी उम्र का दिखाने के लिए इस मेकअप का इस्तेमाल किया गया था.यह जब लगता है तो लाइन्स बहुत खींच जाती है. थोड़ी सी भी गड़बड़ी हो तो नजर आने लगती है. मुझे लगता है कि यह एक्सपेरिमेंट पहली बार हुआ है. जहां तक बात है परफॉरमेंस की तो मुझे खुद से अधिक  उम्र का किरदार निभाना कठिन लगता है.चूंकि मेरी जो फिजिकैलिटी है. वह एक लड़के की तरह है. मैं मर्द सा नहीं लगता हूं. एल्फा मैं लगता ही नहीं हूं. कितने भी मशल्स बना लूं. मैं ब्वॉय जैसा ही दिखूंगा. तो मेरे लिए कम उम्र का किरदार आसान होता है. वही दूसरी तरफ जब मैं वीर जारा में बुजुर्ग का किरदार निभाया था तो वह काफी कठिन था. एक तो उस वक्त मुझे रानी मुखर्जी को बेटी कहने में भी काफी दिक्कतें आ रही थीं. यश अंकल नाराज भी हो रहे थे. मेरा माइंडसेट भी वैसा ही युवाओं वाला है. खासतौर से मैं जब काम न करूं तो अपने बच्चों से ही घिरा रहता हूं तो मेरा माइंडसेट यंग है. चुलबुला है. भले ही मैं 50 की उम्र पार कर चुका हूं फिर भी. मेरे बच्चे को भी ब्वॉय जैसा लुक ही पसंद है.
आपके किसी फैन ने कभी ऐसा कुछ किया हो, जिसने आपको चौका दिया हो?
नहीं, मैं दरअसल ज्यादा लोगों से मिलता ही नहीं हूं.मुझे मालूम नहीं. लेकिन हां, मैं कुछ सुना है कि अमेरिका में किसी महिला ने मेरे लिए चांद पर जमीन खरीद कर रखी है.एक हैं जो स्केच बनाते हैं.मुझे लगता है कि यह जमाने की और उम्र की भी बात होती है. आप देखें तो फैन्स अधिकतर युवा उम्र में अधिक बनते हैं. चूंकि वह जवां उम्र होती है और किसी काम के लिए उनमें जोश होता है. और वे वह कर जाते हैं जो शायद एक मैच्योर न करे. हां, बस यह जरूर कहूंगा कि कोई मुझे खुश करने के लिए खुद को नुकसान पहुंचाये तो वह मुझे पसंद नहीं है. मेरी एक फैन ने मुझे फोन किया था. वे बार-बार कर रही थीं. उनका कहना था कि उन्होंने सपना देखा है कि मेरी डेथ हो गयी है. मैं उस वक्त सर्जरी के लिए जा रहा था. मैं जब लंदन पहुंचा और मैंने पेपर साइन किये तो मैं उस वक्त काफी डर गया था.
आपको क्या लगता है कि एक फैन की क्या सीमाएं होनी चाहिए. किस हद तक उन्हें किसी सुपरस्टार्स की जिंदगी में झांकना चाहिए?
मैं पर्सनली इन बातों पर विश्वास नहीं करता कि मैं फैन को कहूं कि तुम ये करो. ये मत करो, क्योंकि जो फैनडम बनता है. वह सोच कर नहीं होता. सोच कर किया तो वह फैन नहीं होता.मैं जरूर कहूंगा कि खुद को चोटिल मत करो. लखनऊ में मुझे याद है डर के वक्त लोगों ने चाकू से अपने सीने को काट लिया था. जबकि मैंने फिल्म में असल में ऐसा नहीं किया था.तो ऐसे में दुख होता है. मैं बस उन्हें नजदीक नहीं आने देना चाहूंगा. बाकी लोग आते हैं. कई लोग गालियां भी देते हैं तो हम स्टार हैं. हमें उन्हें सुनना ही होगा.प्यार भी करते हैं. खासतौर से मुझे लड़कियों के लिए अच्छा नहीं लगता कि वह भीड़भाड़ में आती हैं और उन्हें धक्के लगे तो.और जब आप तय कर लेते हैं कि आप स्टार हैं तो आप पब्लिक फिगर बन चुके हैं. जब से मैं इस इंडस्ट्री का हिस्सा बना. उसे 8-10 सालों के बाद से ही मेरे परिवार वालों ने यह बात समझ ली थी कि मेरा वक्त अब सिर्फ मेरा या परिवार का नहीं है.ऐसे में जब मैं काम से 3 बजे लौट कर जाता हूं और कहता हूं कि तुमलोगों के साथ इस वक्त बैठना चाहता हूं तो उनका कभी यह कहना नहीं होता कि अभी नहीं. वे मेरे वक्त को समझ चुक ेहैं. वह कभी शिकायत नहीं करते. यही वजह है कि वे मुझे कई जगहों पर साथ जाने के लिए जिद्द नहीं करते. एयरपोर्ट पर भी व ेकहते हैं कि हम पहले निकलते हैं. आपको वक्त लगेगा. हां, मगर उन्हें सिर्फ ये बातें बुरी लगती हैं कि जब मैं नहीं रहता, िफर भी कैमरा उनका पीछे करे तो. किसी पार्टी में उनसे कोई पूछे कि शाहरुख के बेटे हो या बेटी हो तो वे न कह देते. ताकि एंजॉय कर सकें वे.

No comments:

Post a Comment