भारतीय सिनेमा जगत की बात की जाये तो भले ही बॉलीवुड और उनके कलाकारों को विश्व ख्याति मिल रही हो. लेकिन गंभीर सिनेमा के मद्देनजर बांग्ला सिनेमा की अपनी एक अलग पहचान है. इसका स्पष्ट दृष्टिकोण मामी फिल्मोत्सव में भी देखने को मिला.
विश्व सिनेमा में बांग्ला फिल्म जगत की एक अलग प्रतिष्ठा है. फिर चाहे फिल्मोत्सव भारत के किसी भी कोने में हो. बांग्ला फिल्मों की चर्चा के बिना वह अधूरी ही रहती है. विशेषकर विश्व सिनेमा में सत्यजीत रे की अहमियत बेहद खास रही है. हाल ही में संपन्न हुए मामी फिल्मोत्सव में भी विश्व के सुप्रसिध्द निदर्ेशकों ने सत्यजीत रे की फिल्मों की चर्चा की. पिछले वर्ष इफ्फी के दौरान भी तुर्की से लेकर हॉलीवुड के निदर्ेशकों ने इस बात पर चर्चा की कि भारतीय फिल्मों में सत्यजीत रे ने एक अलग मुकाम बनाया.
सत्यजीत रे हैं प्रमुख
इसकी वजह यही है कि आज भी बांग्ला सिनेमा अपनी भाषा और संस्कृति को लेकर गंभीर है. वह क्षेत्रीय होते हुए भी देशव्यापी पहचान बनाने में इसलिए सामर्थ है. चूंकि बांग्ला सिनेमा ने अपने साहित्य, अपनी संस्कृति व इसकी शान को सिनेमा के विषयों के आधार पर बरकरार रखा है. सत्यजीत रे ने भारतीय सिनेमा में एक अलग बेंचमार्क साबित किया तो वही दूसरी तरफ ॠतुपर्णो घोष, ॠतिविक घटक और अपर्णा सेन जैसे निदर्ेशकों ने एक अलग पहचान बनायी. आज भी भारत समेत विश्व में होनेवाले किसी भी फिल्मोत्सव में बांग्ला भाषा की फिल्में शामिल न हो. ऐसा संभव ही नहीं हो सकता. मामी फिल्मोत्सव के दौरान भी बांग्ला भाषा की कई उम्दा फिल्में प्रदर्शित की गयी. जिस तरह भारतीय दर्शकों में विदेशी फिल्मों को देखने की होड़ दी. उसी तरह विदेशी दर्शक और निदर्ेशकों में बांग्ला फिल्मों को देखने के लिए उत्साह था. मशहूर निदर्ेशक हग हडसन का तो मानना है कि भारत में अगर कहीं सही मायने में सिनेमा बनता है तो वह बंगाल में ही बनता है. उन्होंने अब तक भारतीय फिल्मों में कुछ स्तरीय देखा है तो वह ॠतिवक घटक की फिल्में हैं और सत्यजीत रे की फिल्में हैं.
बांग्ला फिल्मों ने बनाई खास पहचान
ं फिल्म लिटिल प्रीसेंस की निदर्ेशिका ओलिविरा हैरिशन और डेविड बताते हैं कि उन्हें भारतीय फिल्मों की सूचि में बांग्ला फिल्में देखना पसंद हैं. चूंकि वहां की फिल्मों में क्रियेटिवीटी, खूबसूरत कहानी, साहित्य, संस्कृति का मिलाजुला समावेश नजर आता है. हैरिशन ने अब तक बांग्ला की सभी सब टाइटिल की गयी फिल्में देखी है.
मामी में शामिल बांग्ला फिल्में
ॠतुपर्णो घोष की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म नौकाडूबी को बेहद सराहना मिली. मामी फिल्मोत्सव के दौरान भी उनकी फिल्म उनिशे अप्रील को बेहद सराहना मिली. फिल्म की कहानी सरोजनी नामक डांसर पर आधारित थी. अपने पति से अलग होकर वह अपनी कला को जीवित रखने के लिए संघर्ष करती है. फिल्म में मुख्य किरदार निभाया देबाश्री रॉय और अपर्णा सेन ने. इसके अलावा हर फिल्मोत्सव की तरह इस बार भी सत्यजीत रे की पाथेर पांचाली नामक फिल्म का प्रदर्शन किया गया. इस फिल्म को देखने के लिए अनुराग कश्यप, ओनिर, राजकुमार गुप्ता जैसे कई निदर्ेशकों की कतार थी. जबकि उन्होंने यह फिल्म पहले भी देखी है. वजह पूछने पर बताते हैं कि पाथेर पांचाली भारतीय सिनेमा के रत्नों में से एक है, जिन्हें जितनी बार भी देखा जाये. उसमें कुछ न कुछ नया और अदभुत ही नजर आता है. इसके अलावा विमुक्ती जयसुंद्रा की फिल्म चातरक की कहानी को भी दर्शकों ने बेहद पसंद किया. इस फिल्म की कहानी एक लड़के और लड़की की कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है. फिल्म कोलकाता और बोलपुर में शूट की गयी है. सुमन घोष द्वारा निदर्ेशित फिल्म नोबल चोर मामी फिल्मोत्सव के दौरान सबसे अधिक चर्चित रही. फिल्म में मुख्य अभिनय किया है मिथुन चक्रवर्ती ने. फिल्म के माध्यम से एक किसान की मजबूरी को दर्शाया गया है. उनके संघर्ष की कहानी को बयां किया गया है.
चर्चित फिल्में व निदर्ेशक
बांग्ला फिल्मों में चर्चित फिल्मों की बात करें तो निदर्ेशक गौतम घोष की फिल्में विश्व स्तरीय मानी जाती रही हैं.निदर्ेशकों में कौशिक, अपर्णा सेन की अलग प्रतिष्ठा रही है. इस वर्ष आपन शत्रु, बेंदिनी, फाइटर, इगारो, अग्निसाक्षी, जैसी फिल्में लोकप्रिय रहीं.
एक्स्ट्रा शॉट
निदर्ेशक व मशहूर फिल्ममेकर सत्यजीत रे को अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
गौतम घोष को पिछले वर्ष इफ्फी फिल्मोत्सव के दौरान फिल्म मोनेर मानूष को सबसे अधिक पुरस्कार दिये गये.
प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कारों में बांग्ला फिल्मों की संख्या सबसे अधिक होती है.
इस वर्ष बेस्ट नैरेशन के लिए कोलकाता के नीलांजन भट्टाचार्य को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
पश्चिम बंगाल से संबध्द रखनेवाले कलाकारों में मिथुन, रिया सेन, राइमा सेन, रानी मुखर्जी, काजोल, सुष्मिता सेन, बिपाशा बसु ने हिंदी सिनेमा जगत में भी अपना पहचान स्थापित की है.
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