20111014

बबली-सी अभिनेत्री की टूटेगी छवि : जिनेलिया डिसूजा



एक अभिनेत्री के लिए उसके करियर की सबसे अहम बात यही होती है कि वह अपनी बनी बनाई छवि से बाहर निकलें. फिल्म फोर्स से जिनेलिया डिसूजा की यही कोशिश है. पेश है जिनेलिया से अनुप्रिया अनंत से हुई बातचीत के मुख्य अंश

चुलबुली और कॉलेज गोइंग गर्ल का किरदार निभाने के बाद जिनेलिया फोर्स में एक नये अवतार में नजर आ रही हैं.

जिनेलिया, आपने अब तक सामान्य से किरदार निभाये हैं. फिर फोर्स में बिल्कुल मैच्योर किरदार क्यों चुना?

आपने सही कहा कि मैंने अब तक केवल कॉलेज गोइंग लड़कियों का ही किरदार निभाया है. लेकिन अब धीरे धीरे मुझे यह महसूस हो रहा है कि मुझे अलग तरह के किरदार भी निभाने चाहिए. ताकि इसके बाद मुझे निदर्ेशक अपनी फिल्मों में कुच मैच्योर किरदार दें. इसलिए मैंने फोर्स को चुना.

तो उस लिहाज से आप फोर्स के निदर्ेशक को श्रेय देना चाहेंगी?

जी बिल्कुल, मुझे खुशी है कि हिंदी सिनेमा में अब तक मैंने जो भी किरदार निभाये हैं. निदर्ेशकों को मुझमें परिपक्व अभिनेत्री नजर नहीं आयी. लेकिन निशिकांत को लगा कि वह मुझसे कुछ अलग करवा सकते हैं. उन्होंने इस फिल्म में नयी जिनेलिया को ढूंढ़ निकाला है और मुझे इस बात की बेहद खुशी है.

तो भविष्य में भी अब हम जिनेलिया को नये किरदारों में देखेंगे? थोड़े मैच्योर किरदारों में?

बिल्कुल. चूंकि मैंने अब तय किया है कि थोड़े कठिन किरदारों को निभाऊंगी. जिसमें केवल हाय हल्लो नहीं. एक्शन भी हो.

फिल्म फोर्स में आपका किरदार किस तरह का है?

बिल्कुल अलग सा है माया का किरदार. वह बहुत अच्छी पत्नी है. वह जिंदगी को जीती है. उसमें चुलबुलापन है. लेकिन वह मैच्योर है.

जॉन अब्राह्म के साथ आपकी जोड़ी थोड़ी अलग सी है?

हां चूंकि जॉन मुझसे बहुत बड़े हैं. लेकिन हमारी केमेस्ट्री दर्शकों को पसंद आयेंगी. फिल्म की जिस तरह की कहानी है. उस लिहाज से निशिकांत से हमें सोच समझ कर कास्ट किया है.

सेट पर शादी की खबरें भी आयीं?

ऐसे सवाल, ऐसी खबरें सिर्फ पैदा की जाती है. लेकिन सेट पर नहीं, फिल्म बनने के बाद. मैं इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहूंगी.

फिल्म फोर्स में पूरी तरह जॉन का पराक्रम नजर आ रहा है. हाल की फिल्मों में देखें तो बॉडीगार्ड, सिंघम जैसी फिल्मों में फिर से हीरोइज्म लौट आया है. ऐसे में इन फिल्मों में किसी अभिनेत्री के लिए कितनी गुंजाइश रह जाती है कि वह खुद को अलग साबित कर सकें?

मैं खुद एक्शन फिल्मों को बहुत पसंद करती हूं. और मानती हूं कि हिंदी सिनेमा में एक बार फिर से वह हीरोइज्म लौटा है. हां, यह सच है कि ऐसी फिल्मों में अभिनेत्रियों के लिए स्कोप कम रह जाते हैं. लेकिन मैं फोर्स के बारे में कहना चाहूंगी कि यह अभिनेत्री के बिना अधूरी फिल्म है. आप खुद देखेंगी तो आपको समझ में आयेगा.

आपने कहा एक्शन फिल्मों की प्रशंसक है तो क्या भविष्य में हम आपको कभी किसी फिल्म में एक्शन करते देख सकेंगे?

बिल्कुल. फिलहाल तो मैं दक्षिण की एक फिल्म ऊर्मी में भरपूर एक्शन सीन कर रही हूं और इस फिल्म के लिए मैंने खासतौर से मार्शन आर्ट, घुड़सवारी और कर्राटे सीखा है. उस फिल्म में मैं किसी राजकुमारी की तरह ही नजर आऊंगी. लेकिन एक शक्तिशाली राजकुमारी की तरह.

निशिकांत बिल्कुल अलग तरह के निदर्ेशक माने जाते हैं? आपको उनके निदर्ेशन में क्या अलग नजर आया.

उनकी सबसे खास बात यह है कि वह कभी सेट तैयार नहीं करते. अगर कंस्ट्रक्शन का सीन लेना है तो वही जायेंगे, जहां कंस्ट्रक्शन हो रहा हो. मुझे उनकी यह बात बिल्कुल अलग लगी.

आपने हिंदी फिल्में और दक्षिण फिल्में दोनों जगह काम किया है. क्या खास है दोनों जगत में?

अपनी अपनी जगह दोनों जगत अलग है. दर्शक अलग हैं. मैं खुशनसीब हूं कि मुझे दोनों जगह समांतर रूप से काम करने का मौका मिल रहा है. इससे मैं दोनों जगह की खूबियों को सीख रही हैं. दक्षिण की सबसे अच्छी बात है, वहां जल्दबाजी में कई फिल्में बना ली जाती हैं और दर्शकों को फिल्में अच्छी भी लगती हैं. हिंदी सिनेमा में कम फिल्में बनती हैं. लेकिन उनके कलाकारों को पूरी दुनिया में लोकप्रियता मिलती है.

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