20111014

मिलने-बिछुड़ने का मौसम


फिल्म रिव्यू मौसम

कलाकार ः शाहिद कपूर, सोनम कपूर, सुप्रिया पाठक

निदर्ेशक ः पंकज कपूर

स्टार ः 3 स्टार

अनुप्रिया अनंत

वरिष्ठ कलाकार पंकज कपूर फिल्म मौसम से निदर्ेशन के क्षेत्र में अपनी पहली पारी की शुरुआत कर रहे हैं. उन्होंने फिल्म के निर्माण के बारे में बातचीत करते हुए पहले ही कहा था, कि उनके जीवन में अब तक जितने भी निदर्ेशकों का असर रहा है. उन्होंने उनसे कुछ कुछ चीजें सीखने की कोशिश की है और मौसम में वह नजर भी आयेगा. निस्संदेह उस लिहाज से मौसम में वे बातें नजर भी आयी हैं. आज के दौर में जहां फिल्मों में भी फेसबुक, सोशल नेटवर्किंग साइट्स वाली प्रेम कहानियों की भरमार है. वहां मौसम आपको बिल्कुल अलग दुनिया में लिये चलती है. प्रेम की कहानी शुरू होती है पंजाब से, फिर स्कॉटलैंड, स्वीजरलैंड, अहमदाबाद में घूमती फिरती है. जगह बदलते हैं. मौसम भी बदलता है. लेकिन प्यार नहीं बदलता. हैरी और आयत की प्रेम कहानी की शुरुआत बिल्कुल सामान्य ढंग से होती है. उनकी एक दूसरे से बातचीत, कागज के छोटे से टुकड़े में लिख कर अपनी बातों को बयां करने का तरीका बिल्कुल मासूम सा लगता है. लेकिन अचानक हालात बदलते हैं और उन रास्ते अलग हो जाते हैं. निदर्ेशक ने इस प्रेम कहानी के साथ साथ समांतर रूप से कई सामाजिक मुद्दों को दर्शाने की कोशिश की है. जिनमें कश्मीरी पंडित, सांप्रादायिकता जैसे संवदेनशील मुद्दे उभर कर सामने आते हैं. निश्चित तौर पर यह एक बेहतरीन प्रयास है. शाहिद और सोनम कपूर ने जिस शिद्दत के साथ वक्त देकर इस फिल्म में अभिनय किया है. उनकी वह अभिनय क्षमता नजर भी आती है. दोनों ही हर लुक में खूबसूरत नजर आये हैं. फिल्म का आरंभिक दौर पंजाब की मस्ती से भरा है. लेकिन धीरे धीरे कहानी गंभीर होती जाती है. अंत में जाकर कहानी बनावटी हो जाती है. हैरी और आयत का मिलना, फिर आपस में आओ मिल कर एक घर संवारें...जैसे संवाद बिल्कुल बनावटी लगते हैं और कहानी के स्तर को भी कम करते हैं. निस्संदेह निदर्ेशक ने छोटी छोटी परिस्थितियों से ही सही लेकिन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, बाबरी मस्जिद जैसे मुद्दों से प्रभावित असर को भी दिखाया है. लोकेशन, संवाद, और शेष कलाकारों का चुनाव भी बेहतरीन है. कई दृश्यों में निदर्ेशक ने अपनी बिल्कुल अलग और अदभुत सृजनशीलता का कमाल दिखाया है. लेकिन निदर्ेशक की पूरी मेहनत अंत में निराश करती है. बहरहाल शाहिद ने अपनी अन्य फिल्मों की अपेक्षा इसमें कुछ अलग करने की कोशिश की है. सोनम बबली और फैशनेबल गुड़िया की छवि से भी बाहर निकल कर आयी हैं. भविष्य में अगर वे वाकई इस तरह के चुनिंदा किरदार करें तो वे भी विद्या बालन की तरह चुनिंदा किरदारों के लिए जानी जायेंगी.

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