20110823

डिब्बा बंद ः आधा अधूरा लाइट कैमरा एक्शन



हम भले ही कितनी बातें बना लें. फिल्म बनने के बाद उसकी समीक्षा कर लें, लेकिन सच्चाई यही है कि किसी फीचर फिल्म का निर्माण एक कठिन तपस्या से कम नहीं. चूंकि यहां कई तत्व एक साथ फिल्म के निर्माण को प्रभावित करते हैं.यही वजह है कि हिंदी सिनेमा के इतिहास में ऐसी कई फिल्मों का नामांकन तो हुआ. लेकिन सुगबुगाहट के साथ फिल्में डिब्बा बंद हो गयीं. कहीं कलाकारों की आपसी रंजीश तो कहीं निदर्ेशकों के नजरिये में दोष इसका खास कारण बना. कुछ ऐसी ही फिल्मों व उनके अधूरे रह जाने के कारणों पर अनुप्रिया अनंत और उर्मिला कौरी की पड़ताल.

अपने प्रिय और करीबी दोस्तों में से एक कृष्ण खन्ना से मृत्यु से पहले मकबूल फिदा हुसैन ने अपने मन की बात जाहिर की थी कि वह अपनी जिंदगी पर आधारित एक फिल्म बनाना चाहते हैं. उन्होंने फिल्म का नाम द मेकिंग ऑफ पेंटर रखा था. फिल्म में उन्होंने युवा किरदार श्रेयस तलपड़े को दिया था. फिल्म की पटकथा पर उन्होंने बहुत हद तक काम भी कर लिया था. लेकिन इससे बावजूद उनकी यह मनसा पूरी नहीं हो पायी. वजह वे आर्थिक रूप से फिल्म के लिए धन एकत्रित नहीं कर पाये. माधुरी दीक्षित अभिनीत फिल्म गजगामिनी व तब्बू अभिनीत फिल्म मिनाक्षी के निर्माण के बाद इस बात से पूरी तरह वाकिफ हो चुके थे कि फिल्म एक महंगा व्यवसाय है. मकबूल चाहते थे कि वह अमृता राव व अनुष्का को लेकर भी फिल्में बनाये. लेकिन उनकी यह इच्छा अधूरी रह गयी. दरअसल, किसी फिल्म को पूरा करने का यह सपना सिर्फ हुसैन साहब का ही नहीं अधूरा नहीं रहा. ऐसे कई निदर्ेशक हैं, जिनकी कई फिल्में आधी अधूरी रह गयीं. कुछ तो फ्लोर तक पहुंची, लेकिन टिकट खिड़की का मुंह नहीं देख सकीं. कुछ फिल्में इस वजह से भी डिब्बे में बंद हो गयी, चूंकि निदर्ेशकों व कलाकारों में अनबन हुई. हिंदी सिनेमा के इतिहास में ऐसा सिर्फ छोटे बजट की फिल्मों के साथ ही नहीं हुआ. बल्कि कई ऐसी फिल्में रहीं, जो आधी अधूरी रह गयी. एक दौर में राज कपूर ने भी ऐसी कई फिल्मों की परिकल्पना की थी. उसकी शूटिंग भी की, लेकिन वे फिल्में पूरी न कर सके. इन फिल्मों में हीना भी प्रमुख है. आगे चल कर यह फिल्म रणधीर कपूर ने पूरी की. सुभाष घई के अधूरे सपने

सुभाष घई उन निदर्ेशकों में से एक हैं, जो अपनी पटकथा के साथ साथ अपने निदर्ेशन के स्टाइल को अपने किरदारों पर थोपते हैं. लेकिन शायद सुभाष घई ने यह सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस जमाने में वह शोमेन के रूप में मशहूर थे. ऐसे दौर में उन्हें किसी कलाकार की वजह से भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा. उस दौर में अमिताभ बच्चन अपनी दूसरी लेकिन कमजोर पारी खेल रहे थे. लेकिन इसके बावजूद अमिताभ बच्चन ने सुभाष घई के सामने अपनी अभिनय क्षमता के गुमान का प्रमाण दिया था. अमिताभ बच्चन के साथ वे फिल्म देवा की शूटिंग कर रहे थे. पूरे 28 दिन फिल्म की शूटिंग हो गयी थी. लेकिन इसके बावजूद अमिताभ ने सुभाष की फिल्म के बारे में नहीं सोचा. हुआ यूं कि सुभाष घई की आदत थी कि वे अपने किरदारों को सेट पर जाकर समझाते थे कि इस शॉट को ऐसे नहीं, ऐसे करें. उन्होंने अमिताभ को भी समझाने की कोशिश की. नतीजा यह हुआ कि अमिताभ को यह बर्दाश्त नहीं हुआ कि कोई उन्हें किसी तरह से कुछ समझा रहा है. उन्होंने अपने सेक्रेटरी को तुरंत बुलाया और सुभाष घई से पूछने को कहा कि उनसे पूछें कि कितने भुगतान के बाद वे वहां से जा सकते हैं. और सेट छोड़कर चले गये. अमिताभ बच्चन के फिल्म छोड़ कर जाने की वजह से सुभाष को भारी क्षति उठानी पड़ी थी. लेकिन उन्होंने उसी नष्ट हुए धन के भार के बावजूद फिर राम लखन बनायी.

सनी-ऐश में दूरी

हिंदी सिनेमा में ऐसी भी कई जोड़ियां हैं, जो बनते बनते रह गयीं. चाह कर भी निदर्ेशक उन फिल्मों को पूरी नहीं कर सके. इन्हीं फिल्मों में से एक थी इंडियंस. पहलाज निहलानी ने सनी देओल और ऐश्वर्य राय को लेकर इंडियंस फिल्म का मुहूर्त किया. फिल्म की शूटिंग फिल्म सिटी में होनी भी शुरू हो गयी थी. लेकिन ऐश्वर्य राय के नखरों से परेशान होकर सनी देओल ने फिल्म आधी अधूरी छोड़ दी. इस फिल्म के सिलसिले में ही एक दिन जब सनी देओल ऐश्वर्य से मिलने पहुंचे. लेकिन ऐश ने सनी को बहुत देर तक इंतजार कराया. इस बात से नाराज होकर सनी ने फिल्म अधूरी छोड़ दी और निदर्ेशक को भारी नुकसान उठाना पड़ा.

मुहूर्त तो हुआ...लेकिन

एक दौर में फिल्मों के मुहूर्त हुआ करते थे. मुहूर्त का मतलब फिल्म के श्रीगणेश से होता था. फिल्म का पहला शॉट इसी दिन लिया जाता था. एक तरह से फिल्म की शुरुआत की यह पारंपरिक शुरुआत होती थी. हिंदी फिल्मों के इतिहास में ऐसी कई फिल्में बनीं जो मुहूर्त के बावजूद डिब्बा बंद होकर रह गयी. अमिताभ बच्चन ने दिल, बेटा की सफलता के बाद आमिर खान और माधुरी के साथ रिश्ते का मुहूर्त किया. लेकिन फिर भी फिल्म बन नहीं पायी. शेखर कपूर ने आमिर खान, रेखा के साथ टाइम मशीन फिल्म के कई शॉट्स ले लिये थे. शेखर कपूर की फिल्म पानी की घोषणा कई बार की गयी है. फिल्म की शूटिंग बहुत हद तक हो भी चुकी थी. लेकिन बावजूद इसके फिल्म अब तक पूरी नहीं हो पायी है. लेकिन शेखर कपूर की अब तक की यह मनसा पूरी नहीं हो सकी है. वे चाह कर भी इस फिल्म को पूरा नहीं कर पाये हैं.

अनुराग की पांच

अनुराग कश्यप आज फिल्म इंडस्ट्री में पूरी तरह स्थापित हैं. इसके बावजूद उन्हें इस बात का हमेशा दुख है कि वे अपनी पहली फिल्म पांच को रिलीज का मुख नहीं दिखा पाये. उन्होंने अपनी इस फिल्म को हाल ही में रिलीज फिल्म शैतान से जोड़ने की कोशिश की है. फिल्म पांच विवादों में फंस जाने के कारण रिलीज नहीं हो पायी थी.

बाजीराव मस्तानी

संजय लीला भंसाली फिल्म बाजीराव मस्तानी का निर्माण करनेवाले थे. यह फिल्म वह अपनी पसंदीदा नायिका ऐश्वर्य राय और सलमान खान के साथ बनाना चाहते थे. इस फिल्म की शूटिंग भी शुरू हो चुकी थी. लेकिन ऐश और सलमान के बीच आयी दूरी की वजह से यह फिल्म डिब्बे में चली गयी. लेकिन उनकी कहानी की नकल कर उनके दोस्त नितिन ने मराठी में बाजीराव मस्तानी नामक सीरियल का निर्माण कर दिया.

दस

कभी नितिन मनमोहन फिल्म दस का निर्माण कर रहे थे. इस फिल्म में मुख्य किरदारों में संजय दत्त, सलमान खान और शिल्पा शेट्ठी थे. इस फिल्म का गीत हिंदुस्तानी बेहद लोकप्रिय भी हो चुका था. लेकिन इसके बावजूद बीच में नितिन की मृत्यु हो गयी और यह फिल्म अधूरी रह गयी. फिल्म को कई सालों पर इसी नाम से बनाया गया. लेकिन फिल्म की कहानी और कलाकार सभी में परिवर्तन किया गया.

साहेब, बीबी, गुलाम

प्रीतिश नंदी कम्यूनिकेशन की इस फिल्म में प्रियंका और जॉन काम कर रहे थे. फिल्म का फर्स्ट लुक भी जारी कर दिया गया था. लेकिन फिल्म का निर्माण नहीं किया जा सका.

राजकपूर ने अपने फिल्मी करियर में सबसे अधिक पटकथा अपनी पसंदीदा अभिनेत्री नरगिस को ध्यान में रख कर लिखी थी. वे उनके साथ कई फिल्मों का निर्माण करना चाहते थे. लेकिन वे कर नहीं पाये. इन्हीं फिल्मों में से एक थी फिल्म अंजता. जिसके लिए उन्होंने कैमरामैन राधू करमरकर को लंदन में ट्रेनिंग लेने भी भेजा.

गुरुदत्त ने कई फिल्मों की पटकथा लिखी थी. लेकिन उनकी फिल्में अधूरी रह गयीं.

दिलीप कुमार की फिल्म कलिंगा भी दिलीप कुमार व निदर्ेशक में अनबन होने की वजह से डिब्बा बंद रह गयीं.

जिंदगी तेरे नाम, जमानत जैसी मल्टी स्टारर फिल्में भी रिलीज नहीं हो पायीं.

क्या है वजह

फिल्में रिलीज न हो पाने की कई वजहें होती हैं. ऐसी कई फिल्में हैं जो निर्माण के बावजूद सिनेमा थियेटर में नहीं पहुंच पातीं. क्योंकि इन फिल्मों को डिस्ट्रीब्यूटर नहीं मिलते. फिल्मों की रिलीज की यह बड़ी वजह है और जो फिल्में आधी अधूरी रह जाती हैं, उनकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इन फिल्मों के साथ निदर्ेशक व किरदार के बीच की आयी दूरियां होती हैं. इसमें कई बार भारी नुकसान निर्माताओं को ही चुकाना पड़ता है.

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