20110415

उम्मीद की रोशनी से जगमगाती मोमबत्ती


गर हम सिनेमा के इतिहास को खंगालें तो हम महसूस करेंगे कि किस तरह कभी छोटी फिल्मों से सिनेमा की शुरुआत हुई थी. धीरे धीरे इसकी समय सीमा बढ़ाई गयी और फिर इसने 3 घंटे के सिनेमा का रूप लिया. लेकिन आज भी अगर आप गौर करें तो ऐसे कई निदर्ेशक हैं, जिन्होंने लघु फिल्मों के माध्यम से एक पहचान कायम की है. आज के दौर में मुंबई, गुजरात, राजस्थान, कोलकाता में कई युवा निदर्ेशक हैं जो लघु फिल्मों के माध्यम से अलग तरह की कहानी कह रहे हैं. पुणे फिल्म संस्थान और सत्यजीत फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के छात्र इससे ही अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत करते हैं. इसी क्रम में पुनीत प्रकाश की फिल्म लघु फिल्म मोमबत्ती एक उल्लेखनीय फिल्म के रूप में लोगों के सामने आती है. फिल्म की कहानी नक्सली हमले में मारे गये उत्तर भारत के सुदूर गांव के एक गुमनाम शहीद पुलिसकर्मी के 10 साल के बेटे पिंटू के इर्द-गिर्द घूमती है. वह अपने पिता को एक हीरो की नजर से देखता है. पिता की शहादत की वजह से टूट चुका पिंटू मुंबई के आतंकी हमलों के शहीदों की स्मृति में आयोजित कार्यक्रमों को देख कर यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि आखिर उसके पिता भी तो नक्सली हमले में शहीद हुए हैं. फिर उनकी इतनी अनदेखी क्यों की जा रही है. उदास पिंटू अपने स्कूल जाता है और मास्टर साहब से पूछता है कि शहीद क्या होता है. उनके जवाब को सुन कर पिंटू के बाल मन में पूरी तरह झकझोर कर रख देता है. अपने पिता की स्मृति में वह जो कुछ करता है. वही इस फिल्म की आत्मा है. इस फिल्म में वाकई शहीदों के परिवार की वास्तविकता को दर्शाया है. बाल कलाकार अविनाश नायर ने पिंटू की भूमिका बखूबी निभाई है. अपने अभिनय से अविनाश ने यह साबित किया है कि इतनी कम उम्र में कहानी और पिंटू के चरित्र को लेकर उसी समझ काफी परिपक्व है. अविनाश का दमदार अभिनय सभी दर्शकों के अंदर एक नयी ऊर्जा का संचार करता है. पिंटू की मां की भूमिका पीपली लाइव की धनिया उर्फ शालिनी वत्स ने निभाया है. मास्टर साहब के रूप में चेतन पंडित नजर आ रहे हैं. चेतन पंडित एनएसडी के छात्र रह चुके हैं और राजनीति, अपहरण, वेडनेस डे जैसी कई फिल्मों में इन्होंने अभिनय किया है. गौरतलब है कि फिल्म के युवा निर्माता-निदर्ेशक पुनीत प्रकाश दिल्ली विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट रहे हैं और उन्होंने न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी लॉस एंजिल्स से फिल्म निर्माण का अध्ययन किया है. उन्होंने अब तक कुल सात लघु फिल्मों और एक वृतचित्र का निर्माण किया है. पुनीत ने फिल्म कैश में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. छोटे परदे पर भी उन्होंने कई शो कन्यादान, यू-टर्न में कार्यकारी निर्माता के रूप में काम किया है. पुनीत बताते हैं कि उनके मन में मोमबत्ती का विचार तब आया जब उन्होंने मुंबई के आतंकी हमलों के शहीदों की स्मृति में महानगरों में मोमबत्तियां जला कर लोगों को शोक सभाएं करते देखा. गौरतलब है कि फिल्म को कई फिल्मोत्सव में भी भेजने की योजनाएं बनाई जा रही हैं. अब तक जिन लोगों ने भी फिल्म देखी है. वे इसे विषयपरक फिल्म की उपाधि दे रहे हैं.

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