किसी भी फिल्म के लिए उसके लोकेशन व सेट का वास्तविक नजर आना बहुत आवश्यक, खासतौर से तब अगर फिल्म किसी ऐतिहासिक स्थान पर बनायी जा रही हो. ऐसे में अगर हम सिर्फ यह मान कर बैठें कि फिल्म की सफलता सिर्फ निदर्ेशक या कलाकार के हाथ में होती है तो यह हमारी गलत अवधारणा होगी. चूंकि फिल्म की सफलता का श्रेय उससे जुड़े परदे के पीछे के लोगों को भी जाता है. तो इस बार परदे के पीछे में हम आपको सेट डिजाइनर भूपेन सिंह से रूबरू कराते हैं. फिलवक्त व फिल्म मोहल्ला अस्सी के निर्माण में जुड़े हैं.
दोपहर 1 बजे हम अपने फोटोग्राफर के साथ गोरेगांव फिल्म सिटी के मंदिर पर उपस्थित मोहल्ला अस्सी के सेट पर पहुंचे. वहां फिल्म के निदर्ेशक डॉ चंद्र प्रकाश द्विवेदी से मुलाकात होनी थी. हमें सेक्योरिटी गार्ड ने अंदर का रास्ता दिखाया और हमारी मुलाकात डॉ चंद्र प्रकाश से हो गयी. बातचीत शुरू करने से पहले ही डॉ साहब ने कहा कि मुझसे बात करने से पहले इसके सेट डिजाइनर से बात करें. फिर हमें पूरे सेट की तफ्तीश की. वहां एक दृश्य की शूटिंग चल रही है. पूरे सेट को देख कर कहीं से नहीं लग रहा था कि हम मुंबई की किसी फिल्म सिटी में हैं. यहां तक कि काशी के पप्पू की दुकान का हूबहू प्रारूप हमारे सामने था. अब तक मन में जिज्ञासा हुई कि इसके सेट डिजाइनर से बात की जाये. नंदिता ने उनसे मिलवाया. जी भूपेन सिंह हैं. सेट डिजाइनर. भूपेन शानदार काम किया है आपने. वे पहले थोड़ा झिझके. बातचीत अखबार के लिए क्या कहूंगा. लिख दो जो देख रहे हो आपलोग. फिर उन्हें थोड़ी देर में बातचीत के लिए मनाया और वह तैयार हुए. भूपेन ने बताया कि उन्होंने फिल्म पिंजर में भी डॉ द्विवेदी के साथ काम किया है. उस वक्त से दोनों साथ हैं. मोहल्ला अस्सी अलग तरह की फिल्म है. इसमें माहौल को पूरा बनारसी लुक देना था. सो, बिल्कुल मेहनत तो ज्यादा थी ही. खासतौर से पप्पू की दुकान का माहौल तैयार करना था. हम बनारस गये. वहंा से तसवीरें लेकर आये. फिर यहां तैयार किया सबकुछ. आप गौर करेंगे तो देखेंगे कि पप्पू की वह दुकान में जिस तरह से राख लगी है. यहां भी लगी है. हमने वही टूटा फैन, केतली जैसी चीजें इस्तेमाल की है, वह भी वही की हैं. भूपेन सिंह ने इससे पहले अन्य और भी दो फिल्मों में काम किया है. लेकिन वह पिंजर और मोहल्ला अस्सी को अपना बड़ा ब्रेक मानते हैंं. वे मानते हैं कि अगर कोई सेट डिजाइनिंग की क्षेत्र में आता है, तो उसे धैर्य रखना होगा और चीजों को बहुत बारीकी से देखने की कला में माहिर होना होगा,
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