अरे, लड़कियों में धैर्य नहीं होता. इसलिए वह किसी तकनीकी क्षेत्र में नहीं जा सकती. और अगर चली भी जाये तो बहुत अच्छा नहीं कर सकती. इतने वर्षों के बावजूद जबकि लड़कियों ने हर क्षेत्र में खुद को साबित किया है. अब भी अधिकतर लोगों की यही सोच है. लेकिन अगर गौर करें, तो पिछले कई वर्षों में लड़कियों ने उन क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बनाई है, जिसमें प्रायः पुरुषों का एकाधिकार होता था. आइटी, इंजीनियरिंग के अलावा अब बॉलीवुड में भी महिलाओं ने कुछ तकनीकी क्षेत्रों में अपनी भागीदारी शामिल की है. अगली बार आप जब कभी कोई फिल्म देखने जायें तो कुछ देर ठहर कर जरूर फिल्म के क्रेडिट लाइन पर गौर करें. आपको ऐसी कई लड़कियों का नाम नजर आयेगा, जिन्होंने तकनीकी श्रेणी में अपना योगदान दिया होगा. कैमरे के सामने ही नहीं बल्कि कैमरे के पीछे भी वे अपना कमाल दिखा रही हैं.
1. रश्मि त्रिपाठी, कैमरामैन
कैमरे से इतना प्यार था कि शादी भी कैमरेमेन से कर ली...
संक्षिप्त परिचयः मूल रूप से ओड़िसा की रहनेवाली रश्मि प्रतिष्ठित चैनल में सीनियर वीडियो रिकॉर्डिस्ट हैं. 31 वर्षिय रश्मि पिछले आठ सालों से इस प्रोफेशन से जुड़ी हुई हैं. उन्हें कैमरे से इतना प्यार है कि उन्होंने शादी भी कैमरामैन से ही की है.
मुंबई के न्यूज चैनलों की भागदौड़ कें रश्मि एक ऐसा चेहरा हैं, जो कैमरे लेकर कहीं भी भीड़ में भी लड़कों को पछाड़ते हुए अपने चैनल के लिए खबर निकाल लाती हैं. बतौर रश्मि मेरे पिताजी आर्मी मैन थे. वे हमेशा से चाहते थे कि मैं कुछ अलग करूं. कुछ ऐसा जो सिर्फ लड़के करते हैं इसलिए मेरे अंदर बचपन से ही यह ख्वाहिश थी कि मैं अलग करूं. कुछ अलग करने की इसी चाह में मैंने डेंटिस्ट की अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी, क्योंकि मैं कुछ भी नियिमित काम नहीं करना चाहती थी. आम लड़कियों वाला काम नहीं करना चाहती थी. मैंने सोचा कि अगर मैं डेंटिस्ट बनूंगी तो वही सब मुझे करना होगा. जो हर दूसरी लड़की करती है. इसी सोच ने मेरा ध्यान कैमरे की ओर किया. मुझे वीडियो फोटोग्राफी का बहुत शौक था सो मैंने इसी मैं अपना कैरियर बनाने का इरादा किया. भारी भरकम कैमरे को लेकर क्या एक लड़की शूट कर सकती है. ऐसा सोचने में ही अजीब लगता था लेकिन यही बात मुझे अट्रैक्ट कर गयी. मैंने टेलिविजन और फिल्म इंस्टीटयूट से कैमरामैन सारी वूमेन का तीन सालों का कोर्स किया. कोर्स करने के बाद मुझे नौकरी ढूंढने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई सब कहते हैं कि महिलाएं को लिए यह फील्ड नहीं है लेकिन मुझे जल्द ही जाब मिल गया. जाब मिलने से ज्यादा परेशानी जाब के पहले दिन हुई. मुझे याद है दीपिका का इंटरव्यू था. उनकी फिल्म ओम शांति ओम के लिए. कैमरा मैन की एक लंबी लाइन लगी हुई थी. कैमरा मैंस को आम तौर पर जेंटलमैन नहीं माना जाता है. उनका लुक भी कुछ ऐसा था किसी के गले में रुमाल बंाधा था तो कोई और अलग लुक में थे. थोड़ी सी नर्वस हुई लेकिन मैं डरी नहीं अपना कैमरा लिया और भीड़ में घुस गयी. मुझे कैमरे के साथ देख कर कुछ लोग बातें करने लगे लड़की कैमरामैन लेकिन कुछ देर बाद सबकुछ सामान्य हो गया. सभी ने आकर न सिर्फ मेरा हौंसला बढ़ाया बल्कि यह भी कहा कि तुम सबसे आगे खड़ी हो जाओ ताकि धक्का मुक्की से तुम्हें ज्यादा परेशान न कर सके. इस तरह मैंने जाना कि अगर हमारे अंदर आत्मविश्वास हो तो रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं. उसके बाद से फिर मैंने पीछे मुडकर नहीं देखा. मेरे पति भी कैमरामैन ही हैं इसलिए घर पर भी सिर्फ और सिर्फ यही बातें होती रहती हैं. आज मेरा एक छह साल का बेटा भी है. बच्चे की वजह से मैंने लेट नाइट शूट करना बंद कर दिया है लेकिन अपने काम के प्रति मेरा पैशन कम नहीं हुआ है.
2. हेमंती सरकार ः
पापा हमेशा प्रोत्साहित करते थे कि इसी क्षेत्र में जाओ...अच्छा रहेगा तेरे लिए
संक्षिप्त परिचय ः हेमंती सरकार, संपादक
पीपली लाइव की वीडियो संपादक. कोलकाता में ज्नम हुआ था. लेकिन पढ़ाई पूरी की बंग्लुरु से. एफटीआइआइ से वीडियो एडिटिंग की पढ़ाई पूरी की. फिर रेणु सलुजा( हिंदी सिनेमा की प्रतिष्ठित संपाकि) के साथ काम किया. परिणिता, बारहा आना जैसी फिल्में भी एडिट की.
अनुषा रिजवी निदर्ेशित फिल्म पीपली लाइव की वीडियो संपादक हेमंती मानती हैं कि वे शुरू से ही तैयार थी कि वे कुछ इसी तरह का काम करना चाहती हैं. घर में माता-पिता से माहौल मिलता रहा. वे भी कला के क्षेत्र से जुड़े थे. सुचित्रा स्टूडियो व अकादमी के लिए उनके परिवारवालों ने बहुत कुछ किया. सो जन्म कोलकाता में हुआ. लेकिन पढ़ाई बाहर से हुई. फिर मौका मिला एफटीआइआइ से जुड़ने का. जुड़ी. वहां से रेणु सलुजा जैसी संपादक से जुड़ने का मौका मिला. वहीं बारिकियां सीखीं. फिर और मौके मिलते गये. तनुजा चंद्रा की फिल्म सुर से पहला मौका मिला. फिर परिणीता, बारह आना और पीपली लाइव करने का मौका मिला. हेमंती इस बात से बिल्कुल इनकार करती हैं कि एक महिला अच्छी संपादक नहीं हो सकतीं. यह सोच बदलनी चाहिए. चूंकि एक संपादक के लिए विजन स्पष्ट होना जरूरी है.
3. सबिता सिंह, सिनेमेटोग्रााफर
मजा आता है कैमरे के पीछे
संक्षिप्त परिचय ः सबिता सिंह. हिंदी सिनेमा की चुनिंदा सिनेमेट्रागाफ्रर में से एक. डिप्लोमा फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड से सम्मानित. फिल्म फूंक, धूसर व कई डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए भी काम
सबिता हरियाणा की रहनेवाली हैं. बतौर सबिता मानती हैं कि हरियाणा की होने की वजह से उनसे कई लोगों ने यह सवाल किया था कि आप उस जगह से हैं तो वहां तो लड़कियों को छूट नहीं मिलती. लेकिन मुझे इसमें कोई परेशानी नहीं आयी. मुझे मेरे घर परिवार से पूरी छूट मिली. शुरू से मैं फिल्में देखती थी तो सोचती थी कैसे होता होगा काम. तो बस जुड़ गयी. एफटीआइआइ से कोर्स किया. फिव फिल्म क्रमशः के लिए मुझे नेशनल अवार्ड भी मिला तो हौसला बढ़ा. फिर फूंक, धूसर व 404 जैसी िफल्म के लिए बतौर आत्मनिर्भर सिनेमेटोग्राफी करने का मौका मिला.मुझे खुशी है कि अमोल पालेकर व रामगोपाल वर्मा जैसे निदर्ेशकों के साथ काम कर रही हूं. मैं मानती हूं कि आप अगर सिनेमेटोग्राफी के क्षेत्र में आना चाहते हो तो आपको पेंटिंग, कला, लाइट्स, मूड्स, फोटोग्राफी की भी जानकारी होनी चाहिए. यह सोच कर न आये कि पैसे कमाने है. पहले काम करें. फिर पैसे के बारे में सोचें. अपना 100 प्रतिशत दें.
4. बीनल शाह, एनिमेटर
उम्र नहीं काम देखें
संक्षिप्त परिचय ः गुजरात के अहमदाबाद की रहनेवाली बीनल शाह, महज 24 वर्ष की हैं. लेकिन आपको जान कर आश्चर्य होगा कि उन्होंने छोटी सी उम्र में हॉलीवुड फिल्मों के लिए बतौर एनिमेटर के रूप में काम किया है. नाइट एट म्यूजियम , द गोल्डन कंपस( ऑस्कर 2008), द सर्क डयू फिरक, नाइट एट द म्यूजियम, लैंड ऑफ द लॉस्ट, द रेड राइडिंग जैसी फिल्मों में एनिमेशन करती हैं.
बीनल से पूरी बातचीत होने के बाद आखिर में जब उनकी उम्र के बारे में जानकारी मिली तो वाकई आश्चर्य हुआ. महज 24 वर्ष की बीनल बेहतरीन एनिमेटर हैं. बकौल बीनल शुरू से ड्राइंग करती थी. कार्टून देखा करती थी तो सोचती थी ये कैरेक्टर मूव कैसे होते होंगे. इसका मूव कैसे होता है. पापा ने कहा कि तुम्हेंं कला अच्छा लगता है तुम इस क्षेत्र में जाओ. कुछ सीख लो. तो मैंने मुंबई में जीका में एडमिशन लिया. तीन साल किया. काफी कुछ समझ में आया. सीखा. फिर इतना सबकुछ करने के बाद जॉब ढूंढ़ना था. मैंने अप्लाइ किया,रिदिम अ रे स्टूडियो में मौका मिला. यह एक बड़ी कंपनी थी. जिसमें हॉलीवुड की फिल्मों के लिए काम होता था. मैंने अपना ग्रेजुएशन पूरा नहीं किया था. महज 18 साल की उम्र में यहां आ गयी थी. फिर मौके मिले और काम सीखती गयी. यहां लोगों ने बताया कि आप काम जानती हैं कि लेकिन बेस्ट नहीं है. बेस्ट बनना होगा. और नतीजन मैंने लगातार सीखा और खुद को बेस्ट बनाया. मैं नहीं मानती कि लड़कियां अच्छी एनिमेटर नहीं हो सकती. बल्कि वे ज्यादा अच्छा कर सकती हैं.
5. आरती बजाज, फिल्म संपादक
खुश रहें काम खुद अच्छा होगा.
आरती बजाज दिल्ली से हैं. इनकी फेहरिस्त में कई बड़ी व हिट फिल्में शामिल हैं.जब वी मेट, लव आज कल, रॉकस्टार, गुलाल, नो स्मोकिंग, ब्लैक फ्राइडे, नो वन किल्ड जेसिका, हनीमुन ट्रैवल्स, दो दुनी चार, आमिर का संपादन किया.
आरती बेहद बिंदास व खुशमिजाज दिल की व्यक्ति हैं. शायद यही वजह है कि उनकी फिल्मों के संपादन में वह बारीकियां व फ्रेशनेस नजर आता है. आरती बॉलीवुड की प्रतिष्ठित व लोकप्रिय संपादकों में से एक हैं. इम्तियाज लव आज कल के बाद लगातार उनके साथ काम कर रहे हैं. राजकुमार गुप्ता ने भी अपनी फिल्मों के लिए उन्हें ही चुना है. आरती मानती हैं कि वे आराम से और एक वक्त में ही एक ही प्रोजेक्ट पर काम करती हैं. चूंकि उनकी बेटी भी हैं और उन्हें दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ती हैं. आरती शुरू से चीजों को एक संपादक के रूप में देखती थीं. वे मानती हैं कि संपादक के लिए जरूरी है कि वह अच्छा स्टोरी टेलर हो. कहानी को समझे अपने निदर्ेशक के वीजन को समझे.
6. सनोबर, स्टंट वीमेन
संक्षिप्त परिचय ः सनोबर. बॉलीवुड में इन दिनों सनोबर को स्टंट की ऐश्वर्या कह कर बुलाया जाता है. उन्होंने ऐश्वर्या, ईशा, कट्रीना व बिपाशा जैसी नायिकाओं के लिए स्टंट किये हैं. फिल्म धूम1, 2 और थ्री में भी उन्होंने काम किया है.
सनोबर फिलवक्त सिर्फ 20 वर्ष की हैं. लेकिन बॉलीवुड में लोग उन्हें लेडी डॉन के नाम से जानते हैं. कई लोग उन्हें ऐश्वर्या राय भी कहते हैं. सनोबर इन दिनों बॉलीवुड की चर्चित स्टंट वीमेन में से एक हैं. प्रियंका चोपड़ा व हर चर्चित अभिनेत्री के लिए वे खतरनाक स्टंट कर लेती हैं. सनोबर बताती हैंं कि उन्हें शुरुआत में 1000 रुपये मिलते थे. अब अपनी अनुसार मेहताना लेती हूं. वे मार्शल आर्ट, कराटर्े में पारंगत हैं. हेलीकॉप्टर से कूदना, छलांग लगाना, पानी पर घूमना, खतरों की खिलाड़ी के रूप में वे जाबांजी से स्टंट कर जाती हैं. सनोबर मानती हैं कि कोई भी काम महिलाओं के लिए नामुमकिन तो है नहीं. सबकुछ हासिल किया जा सकता है. अगर आप चाहें तो.
7. अनुराधा पाल, तबलावादक
संक्षिप्त परिचय ः अनुराधा पाल बहु प्रतिष्ठित तबलावादक में से एक हैं. अनुराधा पाल ने अब तक जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, हांग कांग, सिंगापुर, बैंकॉक व अफ्रीका में कांसर्ट किया है. उन्हें इंडिया टुडे ने 30 लीडिंग लेडी ऑफ इंडिया में भी शामिल किया था.
तबलावादक के रूप में अब तक भारत में सिर्फ पुरुष तबलावादक ही नजर आते थे. लेकिन अनुराधा पाल ने उस भ्रम को तोड़ा. वे बचपन से ही तबलावादन से जुड़ी रहीं. उन्हें तबले से बेहद प्यार था. उन्होंने इसमें विशारद हासिल की. और मुकाम हासिल किया.उन्होंने फिल्म गज गामिनी में बैकग्राउंड स्कोर किया है. कान फिल्म फेस्टिवल में फिल्म को सराहना मिली. अनुराधा बताती हैं कि वे एक मात्र भारतीय महिला हैं जिन्होंने वुमाड फेस्टिवल में परफॉर्म किया है. अनुराधा के संगीत की प्रशंसा संगीत इंडस्ट्री से जुड़े बड़े कलाकारों ने भी की है. जाकिर हुसैन उनमें से एक है. अनुराधा मानती हैं कि किसी भी काम के लिए आपका समर्पित होना जरूरी है. तभी सफलता मिलती है.
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