हिंदी सिनेमा जगत की कई अभिनेत्रियों ने अभिनय के साथ-साथ निदर्ेशन की कमान भी सही तरीके से संभाली है. हिंदी सिनेमा जगत की कुछ ऐसी ही अभिनेत्रियों पर अनुप्रिया अनंत की रिपोर्ट
अभी हाल ही में खबर आयी है कि रानी मुखर्जी निदर्ेशिका बनना चाहती हैं. यह सुन कर कई लोगों ने यह कयास लगाना शुरू कर दिया कि उन्हें निदर्ेशिका बनने की प्रेरणा उनके अंतरंग प्रेमी आदित्य चोपड़ा से मिली है. जबकि रानी मुखर्जी ने शुरुआती दौर के एक इंटरव्यू में कहा था कि भविष्य में वह निदर्ेशिका बनना चाहती हैं. गौरतलब है कि बॉलीवुड में अब तक जब भी महिला अदाकाराओं ने कुछ लीक से हट कर करने की कोशिश की है. लोग उन्हें यही बातें सुनाने लगते हैं कि उनके साथ किसी न किसी सहयोग है या उनके सिर पर किसी न किसी हाथ है. ऐसे में जाहिर है, महिला अदाकाराओं का मनोबल भी टूटता है. आखिर क्यों हिंदी सिनेमा जगत भी इस बात को स्वीकारता है कि अपने दम खम पर भी महिलाएं कुछ कर सकती हैं. हिंदी सिनेमा जगत ने यह सोच विकसित कर ली है कि अभिनेत्रियां सिर्फ बार्बी डॉल बन कर ही रह सकती हैं. कोई क्रिएटिव काम नहीं कर सकतीं. जबकि शुरुआती दौर से अब तक देखें तो कई ऐसी अभिनेत्रियां हैं जिन्होंने निदर्ेशन का कमान न सिर्फ संभाला है, बल्कि अपनी कल्पनाशीलता का भी प्रमाण दिया है. गौरतलब है कि 60 के दशक में जब वहीदा रहमान बेहद लोकप्रिय अदाकारा थीं, उन्होंने ने भी गुरुदत्त से एक बातचीत के क्रम में यह बात कही थी कि उन्हें फिल्म निदर्ेशन का शौक है.जया भादुरी ने भी यही बात कही थी. लेकिन इनकी मनसा पूरी न हो पायी थी. लेकिन कुछ सालों के बाद अभिनेत्रियों ने इस सोच से बाहर निकल कर काम करना शुरू किया. और खुद को निदर्ेशन की कुर्सी पर विराजमान भी किया. कुछ ऐसी ही अभिनेत्रियों पर एक नजर
हेमा मालिनी( टेली मी ओ खुदा)
अपने होम प्रोडक्शन के बैनर तले हिंदी सिनेमा जगत की ड्रीम गर्ल ने अब निदर्ेशन की कमान संभाली है. इस फिल्म में वे अपनी बेटी इशा को फिर से लांच कर रही हैं. फिल्म में धमर्ेंद्र ने मुख्य भूमिका निभाई है. निदर्ेशन व अभिनय के बारे में हेमा मालिनी बताती हैं कि अभिनय अधिक मुश्किल काम नहीं है. निदर्ेशन है. यहां सबकुछ निदर्ेशक को तय करना होता है. और खास तौर से तब जब परिवार साथ में काम कर रहा हो तो कई बारीकियों का ध्यान रखना पड़ता है. चूंकि फिल्म फ्लॉप होती है तो सारी जवाबदेही निदर्ेशक की हो जाती है. मेरे लिए भी यह मुश्किल है कि मैं धमेंद्र को पहली बार निदर्ेशित करूंगी.
नंदिता दास( फिराक)
नंदिता दास ने कम ही समय में हिंदी सिनेमा में अपनी वह पहचान बना ली कि लोगों ने उनके बारे में बातें बनाने से पहले कई बार सोचना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने अभिनय के माध्यम से साबित किया कि चेहरा मायने नहीं रखता. किरदार रखता है. कलाकार रखता है. वह बिंदास, बेफिक्र होकर काम करती हैं. अपने अभिनय से खास पहचान स्थापित करने के बाद उन्होंने निदर्ेशन में कदम बढ़ाये. और वर्ष 2008 में पहली बार निदर्ेशन की कमान संभाली फिल्म फिराक से.गुजरात में हुए वर्ष 2002 के दंगे के बारे में उन्होंने अपनी फिल्म में सच्चाई दर्शाने की कोशिश की. उन्हें इस फिल्म के कई अवार्ड्स भी मिले. भविष्य में भी वह कई फिल्मों का निर्माण करनेवाली हैं.
रेवती ( मुंबई कटिंग, फिर मिलेंगे)
रेवती दक्षिण फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित अदाकारा हैं. उन्होंने शुरुआती दौर में कई हिंदी फिल्मों में भी काम किया. उसके बाद उन्होंने निदर्ेशन की कमान संभाली. उन्होंने अब तक मुंबई कटिंग, केरला कैफे, फिर मिलेंगे और मित्र माइ फ्रेंड जैसी फिल्मों का निर्माण किया. उन्होंने बतौर निदर्ेशक खास पहचान मिली और लोग उन्हें उनकी अलग सोच की फिल्मों के लिए जानते हैं.
मनीषा कोईराला
मनीषा कोईराला ने कई हिंदी फिल्मों में अभिनय किया है व राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता भी रही हैं. खबर आ रही है कि वह जल्द ही कश्मीर पर एक फिल्म का निर्माण करने जा रही हैं. उन्होंने तैयारी शुरू कर दी है व रिसर्च के लिए वे इन दिनों कश्मीर में हैं.
रेणुका सहाणे
रेणुका सहाणे ने कई हिंदी फिल्मों में काम किया है और वह टेलीविजन से भी हमेशा जुड़ी रही हैं. जल्द ही वह फिल्म रीता से निदर्ेशन के क्षेत्र में कदम रख रही हैं.
आयेंगी निदर्ेशन में
कंगना रनौत ने फिलवक्त तक किसी फिल्म का निदर्ेशन नहीं किया है. लेकिन उन्होंने यह बात साफ जाहिर की है कि वह भविष्य में निदर्ेशन के क्षेत्र में जायेंगी. चित्रागंदा सिंह, सुष्मिता सेन, काजोल व रानी मुखर्जी ऐसी कई अदाकारा हैं, जो फिल्में बनाना चाहती हैं.
Nandita das kee Firaaq ek acchi koshish thee. Phir milenege CHOREE kee film hai aur iske liye Revaty ko shamr aanee chaahiye aur Tell me oh Khudaa bhee choree kee film hai. Nandita Das par jyaadaa bharosa hai.
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