20110604

चलती का नाम वैनिटी वैन




वैनिटी वैन. यानी सेलिब्रिटिज का दूसरा घर. चूंकि कलाकारों का अधिकतर वक्त शूटिंग में ही गुजरता है. ऐसे में उन्हें घर की सारी सुख सुविधाएं प्रदान करती हैं वैनिटी वैन. कलाकारों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका यह वैनिटी वैन अब उनके लिए सिर्फ मेकअप करने का एक स्थान न रह कर खास एहमियत रखता है. अभिनेत्री पूनम ढिल्लो द्वारा इजाद किये गये इस वैन की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता. वैनिटी वैन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अनुप्रिया अनंत की रिपोर्ट

जरा सोचिए, किसी फिल्म की आउटडोर शूटिंग के दौरान रिटेक पे रिटेक देने के बाद कोई भी कलाकार किस तरह थक कर चूर हो जाते होंगे. खासतौर से तब जब शूटिंग कड़ी धूप, किसी जंगल के इलाके में हो रही हो. ऐसे में कलाकार कैसे सुकून से रह पाते होंगे. अनुमान लगाएं कि महिला कलाकारों को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा. शूटिंग के लोकेशन पर अगर होटल न हो तो उन्हें मेकअप या वॉशरूम में कितनी तकलीफ होती होगी. इस तरह की परेशानियां क्या होती हैं, यह सिर्फ एक कलाकार ही दूसरे कलाकार के दर्द को समझ सकता है. शायद यही वजह रही कि अभिनेत्री पूनम ढिल्लन ने एक ऐसी तरकीब खोज निकाली कि कलाकारों को आउटडोर शूटिंग में भी घर जैसी सुख सुविधाएं मिलने लगी. वैनिटी वैन के रूप में कलाकारों को एक नायब तोहफा मिला, जो उनके लिए दूसरा घर भी बना और आराम करने का एक जरिया भी.

यूं भारत आयी वैनिटी वैनः पूनम ढिल्लन

भारत में वैनिटी वैन के रूप में चलते-फिरते मेकअप वैन की शुरुआत अभिनेत्री पूनम ढिल्लन ने की थी. यह कंसेप्ट पूरी तरह उनका ही था. बकौल पूनम हिंदी सिनेमा को विकसित हुए कई साल हो चुके थे. बात वर्ष 1988-89 की है. मैं अमेरिका गयी थी. किसी काम के सिलसिले में. वहां मेरे कुछ करीबी लोगों के माध्यम से मुझे हॉलीवुड में प्रयोग किये जा रहे ट्रैलर वैन के बारे में जानकारी मिली. मैंने उसे देखने की उत्सुकता जगायी. जब मुझे यह पता चला कि आप बस के आकार की गाड़ी में ही अपना पूरा घर बसा सकते हैं. मुझे पहले विश्वास नहीं हुआ था. लेकिन जब मैंने अमेरिका में देखा तो मैं दंग रह गयी. उस चलते फिरते वैन में मेकअप के साथ-साथ वॉशरूम, एसी, फ्रिज,टीवी सबकुछ रखने की ुसविधा थी. और सबसे खास उसमें आप चाहें तो सोने की भी पूरी व्यवस्था थी. मैं बहुत प्रभावित हुई. मैं लौट कर आयी और फिर मैंने इस बारे में अपने कुछ करीबी दोस्तों और निदर्ेशकों को बताया. सबने जब पहली बार यह कंसेप्ट सुना तो यही कहा कि देखो पूनम नहीं हो पायेगा. यह बहुत महंगा व्यवसाय होगा. और कौन इस पर इतना खर्च करना चाहेगा. लेकिन मुझे विश्वास था कि यह जरूर सफल होगा. चूंकि मैं इस बात की साक्षी थी कि खासकर महिला कलाकारों को विशेष कर आउटडोर शूटिंग में कितनी परेशानी होती है. उन्हें कपड़े बदलने या फिर वॉशरूम जाने में कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मुझे याद है जब वैन नहीं था. और हमें आउटडोर शूटिंग में जाना होता था. हम परेशान हो जाते थे. अगर जंगल जैसे इलाकों की शूटिंग है तो परेशानी और बढ़ जाती थी. आसपास अगर होटल न हो तो आप सोच लें. उस वक्त क्या हाल होता होगा. यही सारी व्यवहारिक बातों को सोच कर मैंने वैनिटी वैन की शुरुआत कर दी. मैंने रिस्क ही लिया था. चूंकि वाकई इसके रख रखाव में बेहद खर्च आता था. मैंने बंग्लुरु में भी इसकी शाखा बनायी. मैंने जब पहला वैनिटी वैन शुरू किया था. उस वक्त उसका इंटीरियर मैंने खुद किया था. शुरुआती दौर में उसे बहुत लग्जीरियस लुक नहीं दिया था मैंने. एक वॉशरूम था. मेकअप टेबल,बिस्तर और इतनी पर्याप्त जगह कि कोई भी उसमें सुकून महसूस करे. मुझे याद है मैंने अनिल कपूर और श्रीदेवी के हाथों इसका उदघाटन किया था. इसके बाद धीरे धीरे जब लोगों को यह कंसेप्ट पसंद आने लगा. लोगों ने अपने अपने लिये वैनिटी वैन बुक कराने शुरू कर दिये. अफसोस कि कुछ सालों तक मुझे इसमें बहुत मुनाफा हुआ. लेकिन इसके बाद मेरे कुछ अपने ही लोगों ने गड़बड़ी शुरू कर दी, सो बेईमानी की वजह से मैं इस व्यवसाय से दूर हो गयी. लेकिन आज भी इस बात की खुशी है कि हिंदी सिनेमा में मैंने भी कुछ ऐसी शुरुआत की है. आज भी कहीं वैनिटी वैन का नाम सुनती हूं तो खुशी होती है कि मेरी कंपनी हिंदी सिनेमा के माध्यम से हमेशा जीवित रहेगी. मैंने बहुत सोच समझ कर ही अपनी कंपनी का नाम वैनिटी दिया था. आज भी कहीं वैनिटी वैन खड़ी देखती हूं तो अच्छा लगता है कि मेरा इनोवेशन आज कलाकारों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. पहले तो यह सिर्फ फिल्मी कलाकारों के पास हुआ करता था, लेकिन अब तो छोटे परदे के कलाकारों के लिए भी यह अहम हिस्सा बन चुका है.

कैसे बनी यह वैनिटी वैन

वैनिटी वैन का सबसे अधिक जिक्र सिनेमा हस्तियों के संदर्भ में ही आता है. यह बेहद सामान्य और हमारी दिनचर्या में शामिल होनेवाला शब्द है. लेकिन शायद हममें से बहुत कम लोगों को यह जानकारी होगी कि इसे वैनिटी वैन क्यों कहते हैं. दरअसल, भारत में वैनिटी वैन की शुरुआत अभिनेत्री पूनम ढिल्लन ने की थी. उन्होंने अपनी इस मेकअप वैन की कंपनी का नाम वैनिटी रखा था. वैन का मतलब है गाड़ी और इटि का मतलब खूबसूरती. इसे मिला कर वैनिटी कंपनी का नाम तय किया गया था. चूंकि इस गाड़ी में मेकअप करने की सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध थी, सो इस पूरे वैन को ही अब लोगों ने मेकअप वैन की बजाय वैनिटी वैन कहना शुरू कर दिया.

स्थाई मेकअप रूम यानी ग्रीन रूम

जब भारत में वैनिटी वैन की शुरुआत नहीं हुई थी. उस दौर में कलाकार जिस स्थान पर साज-श्रृंगार किया करते थे. वह स्थान ग्रीन रूम कहलाया करता था. उस दौर में ग्रीन रूम में एक भव्य आईना व ड्रेसिंग टेबल के तर्ज पर मेज हुआ करते थे. एक टेबल होता था. जिस पर कलाकार बैठ कर अपना मेकअप कराया करते थे. साज-शृंगार के इस कमरे का नाम ग्रीन रूम विदेशी ग्रीन रूम की तर्ज पर ही दिया गया. शुरुआत प्राचीन रोम से हुई थी. दरअसल, मध्यकाल में प्राचीन रोम के थियेटर राउंड शेप में होते थे. कलाकारों को ड्रेस चेंज करने के लिए बीच का एक हिस्सा दिया जाता था. वह हिस्सा हरे रंग की घास से बनी आड़ से ढका रहता था. उसे ग्रीन एरिया कहा जाता था. इसी तर्ज पर ग्रीन रूम की संरचना की गयी थी. धीरे धीरे यह प्रचलित होते हुए पूरे विश्व में ग्रीन रूम के रूप में प्रचलित हुआ.

वैनिटी वैन आने से पहले ः

भारत में सिनेमा का जन्म 1913 में हुआ था. उस वक्त नायिकाएं साज-शृंगार और परिधानों में बदलाव के लिए एक छोटे से कमरे का इस्तेमाल करती थी. जहां, उनके साथ कुछ अस्टिटेंट रखे जाते थे. उस दौर में ग्रीन रूम कलाकारों का खास क्षेत्र होता था. किसी बाहरी व्यक्ति को उसके आसपास भटकने की इजाजत नहीं थी. खासतौर से नायिकाओं के कमरे में. निदर्ेशक भी सोच समझ कर कमरे में दाखिल होते थे. मेकअप आर्टिस्ट को सेट पर दादा कह कर बुलाया जाता था. इस बात का जिक्र इंटरनेट पर उपलब्ध है कि शुरुआती दौर में अधिकतर बंगाली इस क्षेत्र में आते थे. चूंकि बंगाली समुदाय के लोगों को मेकअप में रुचि और इसकी अच्छी समझ होती थी. इसलिए उन्हें मेकअप दादा कह कर बुलाया जाने लगाय उस दौर की नायिकाओं में सबसे अधिक विशाल और खूबसूरत ग्रीन रूम मीना कुमारी और मधुबाला का हुआ करता था. मीना कुमारी जब अत्यधिक गुस्से में रहती तो अपने ग्रीन रूम में ही अधिक वक्त बिता दिया करती थीं. कभी कभी वे घर नहीं जातीं, और वही रह जाया करती थी.

वैनिटी वैन आने के बाद

हिंदी सिनेमा के कलाकारों में धीरे-धीरे जब वैनिटी वैन की लोकप्रियता बढ़ी. हर कलाकार के पास अपना वैनिटी वैन होने लगा. अब वे कहीं भी आउट डोर में वैन लेकर ही जाते. पहले जब वैनिटी वैन नहीं था. सारे कलाकार शूटिंग के बाद का समय अपने कोस्टार्स के साथ बातचीत में गुजारते थे. फिल्म से इतर बातें होती थीं. लेकिन इसके आने के बाद एक दूसरे से कलाकार कटने लगे. और वक्त मिलते ही वह अपने वैन में चले जाते और आराम करते.

बॉक्स 1.

एक्स्ट्रा शॉट

हाल ही में जब माधुरी दीक्षित झलक दिखला के जज के रूप में नजर आयी थी. उन्हें बिग बी यानी अमिताभ बच्चन का वैनिटी वैन कुछ इस कदर पसंद आया कि उन्होंने बिग बी से इसके लिए गुजारिश की और बिग बी ने इसे सहज स्वीकारा भी. उन्होंने अपना वैनिटी वैन माधुरी को दिया.

फिल्म स्वदेश के दृश्यों में में शाहरुख खान का भव्य वैनिटी वैन नजर आया.

फिल्म शरारत की शूटिंग के दौरान अभिषेक बच्चन ने पहली बार अपनी वैनिटी वैन का इस्तेमाल किया था.

अनिल कपूर और श्रीदेवी के हाथों भारत की पहली वैनिटी वैन का उदघाटन किया गया.

शाहरुख खान के पास सबसे भव्य व महंगा वैनिटी वैन है.

विदेशों में इसे ट्रेलर वैन के रूप में जाना जाता है.

सबसे अधिक वैनिटी वैन का इस्तेमाल बॉलीवुड और हॉलीवुड में ही किया जाता है.

बॉक्स2 ः

शाहरुख खान अपने वैनिटी वैन को दूसरा मन्नत मानते हैं. उन्होंने इसे भव्य रूप से तैयार करवाया है. इसे डिजाइन किया है दिलीप छाबरिया ने. यह 14 मीटर लंबी है. और बॉलीवुड में अब तक की सबसे लंबी वैनिटी वैन है.

मिनिषा लांबा का वैनिटी वैन सेलिब्रिटिज में सबसे अधिक तकनीकी रूप से बेहतरीन माना जाता है. उन्होंने इसमें कई तकनीकी उपकरण लगा रखे हैं.

संजय दत्त के नये वैनिटी वैन की कीमत 3 करोड़ है. इसमें दो टीवी है. यह इलेक्ट्रॉनिकली आर्टिकुलेटेड है.

रितिक रोशन ने अल्ट्रा लग्जीरिय वैनिटी वैन खरीद रखा है. इसमें खास किस्म की लकड़ियों और शीशों का इस्तेमाल किया गया है. उन्होंने ब्लैक एंड ह्वाइट रंग का अधिक प्रयोग किया है,

रितेश देशमुख

रितेश देशमुख ने अपने वैनिटी वैन का इंटीरियर खुद किया है. ह्वाइट और ग्रे कलर का सबसे अधिक प्रयोग किया गया है.

बॉलीवुड के कलाकारों में विवेक ओबरॉय, सोनम कपूर, अनिल कपूर, सुनील शेट्ठी ने महंगे वैनिटी वैन खरीद रखे हैं.

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