20180613

हर दीवाली तुम साथ न होकर भी साथ होती थी

पटाखे तो तब भी नहीं जलाती थी 
लेकिन तुम्हारी चेतावनी हमेशा याद होती थी 
(दिए से दूर रहना, पटाखों से दूर रहना , सूती कपड़े पहनना )

मिठाईआं तो तब भी नहीं खाती थी ( मेरी तरफ से मिठाई खा लेना बुचुन )
लेकिन फिर भी इस दिन में मिठास होती थी 

(अगले  साल दीवाली बोकारो में मनाओगी निशु तुम बस )
दीवाली में न भी मिलूं लेकिन बाद में घर आने की, तुमसे मिलने  की एक आस होती थी 

हर दीवाली तुम साथ न होकर भी साथ होती थी 

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