ओये मुम्बईकर
अपुन को न आज एक लेटर सुनाने का है
तुझको कुछ बात याद दिलाने का है
अभी जो तू बाहर जाएगा
तो गारंटी है सबकी वाट लगाएगा
तो सुन मेरी बात, कान खोल कर
ओये मुंबई कर तू सब्र कर
थोड़ा सब्र कर, तू घर से बाहर मत निकल
1. तूने अपुन को जब-जब बुलाया रे
अपुन विरार से चर्चगेट भी भाग के आया रे
दादर में तुझको वडा पाव भी खिलाया रे
अखा ठाणे-पनवेल घुमाया रे
और मेरी वफादारी का तूने ये रिजल्ट दिखाया रे
कि कोरोना वायरस में अपुन का नम्बर अव्वल आया रे
२
अपुन आजतक कभी संडे भी नहीं मनाया था
आज तक अपने हिस्से एक भी छुट्टी नहीं आया था
इस बार अपुन ने वीआआईपी जैक लगाया है
तब जाकर होलीडे अपने पास आया है
चल इसी बात से बहलाले मन
तो मुम्बैकर, थोड़ा ठहर, तू सब्र कर
3. अपुन लोकल में फिर से गर्दी में जगह बनायेंगे न
विल्ले पार्ले से मीरा रोड तक धक्का खाते जाएंगे न
शाम में जोर-जोर से आरती गायेंगे न
डिब्बा वालों का लाया खाना उँगलियाँ चाट के खायेंगे न
गणपति में अखा मुंबई में झूमते नाचते जायेंगे न
तू टेंशन मत ले, न फ़िक्र कर
4. चल, अपुन तुझसे करता है गॉड प्रोमिस
जुहू बीच में पाव भाजी के चटखारे लगाइंगा ना
पानीपूरी जम कर फूल प्लेट खाइंगा ना
वीकेंड पर क्या,
चल तेरे को वीक डेज पर भी डेट पर ले जा इंगा ना
मरीन ड्राइव पर लेट नाईट शिफ्ट भी लगा इन्गा ना
हाजी अली का जूस भी अपुन अपने खर्चे पर पिला इंगा न
सिद्धि विनायक के मोदक भी दिला इंगा न
अभिताभ का बंगला भी देख लेना जी भर कर
बैंड स्टैंड पर मन्नत की फोटो भी खींचा लेना मन भर कर
बस एक बार कमबैक कर तो ले शहर
मुंबई कर , तू याद कर
तूने ही तो मिलकर आतंकवाद को नाको चने चबावाया है न
जब जब बाढ़ आया, एक दूसरे को डूबने से तूने ही तो बचाया है ना
तो इस बार भी मेरा साथ देकर, कोरोना को भगाएंगे मिल कर
5. ऐसे तो हर दिन तेरे को घर जल्दी जाने की खूब घई रहती थी
चाहे लोकल में कितनी भी हो गर्दी,
अगले का वेट करने में तेरे को सुई चुभती थी
फिर अभी काये को वहीं घर कांटने को दौड़ता है
जबकि अभी तो तेरा कितना ट्रेवलिंग टाइम बचता है
अपनों के साथ रहने में किस बात का है डर
इसको ऐसे देख न, जैसे तू गया है फॅमिली होली डे पर
6. चल अब एक जरूरी काम कर
अपने चश्मे का शीशा साफ़ कर
और देख आँखें खोल कर
नर्स, डॉक्टर्स, पुलिस पर किस तरह गिरा है कहर
एक बार ज़रा देख सोच कर
सही खबर के लिए कैसे भटक रहे हैं वह रोड पर
बैंक वाले भी डटे हैं हर मोड़ पर
कचरे वाले से दो बोल मीठे बोल कर
सबको तू सैल्यूट कर
अपने मुखिया की बात सुन कान खोल कर
ओये मुंबई कर तू बाहर मत निकल
अब तू अपुन से पूछेगा ये सब अपुन काये को बकता है
इतना 19-20 अपुन किस हक़ से बोलता है
तो अपुन को एक इच बात कहने का है
ओये मुम्बकर, तू अपुन के हार्ट में बसता है
क्यूंकि मुंबई तू मेरी जान है
ये अपुन सीना ठोक के कहता है..
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