जिंदगी चैनल पर एक नये शो की शुरुआत हुई है. शहर ए जात. इस शो की अभिनेत्री को अपनी ही बनाई एक मूर्ति से प्रेम हो जाता है. वह उस मूर्ति के रूप वाले लड़के को अपनी असल जिंदगी में तलाश करने लगती है. उस रूप में उसे एक लड़का मिल भी जाता है. सलमान.दोनों की शादी होती है और वह जिस तरह अपने मायके में काफी शान-ओ-शौकत से रही है. वह जिंदगी उसे यहां भी मिलती है. लेकिन सलमान का प्रेम उसे नहीं मिलता. उस वक्त वह खुद में घुटने लगती है. और उस वक्त वह अपने अंर्तद्वंद से लड़ाई शुरू करती है. उसे जब यह मालूम होता है कि सलमान किसी और से सिर्फ इसलिए प्यार करता है, क्योंकि दूसरी औरत को अल्लाह में यकीन है. जबकि उसने तो अल्लाह के बारे में कभी सुना ही नहीं. फिर वह अल्लाह व सुकून की तलाश में निकल पड़ती है. खुद की तलाश के मुद्दे पर बनी एक अत्यंत और रोचक कहानी है. यकीन नहीं होता कि हम किसी छोटे परदे पर ऐसी कहानियां देख रहे हैं. दरअसल, हिंदी टेलीविजन के निर्माताओं को शहर ए जात यानी सेल्फ डिस्कवरी की जरूरत है कि वे छोटे परदे को किस ओर लिये जा रहे हैं. गौर करें, तो पिछले कुछ महीनों में लगातार कई शोज बंद हुए हैं. बंद अगर इस लिहाज से हुए होते कि उनकी सीरिज ही सीमित थी. तो बात समझ आती. लेकिन मनमर्जिया जिसकी कहानी विज्ञापन जगत में काम करने वाले दोस्तों की कहानी थी. युवाओं के लिए यह नये तरीके का शो था. लेकिन शो को टीआरपी नहीं मिल पायी. और कुछ महीनों में ही शो को बंद कर दिया गया. जिस छोटे परदे पर साथ निभाना साथिया, ससुराल सिमर का जैसे शो की टीआरपी बढ़ रही है. यह शोध का विषय है कि आखिरकार वे कौन से दर्शक हैं, जो इस तरह के शोज को पसंद कर रहे हैं और चैनल दावे से ऐसे शोज को ही असल मनोरंजन मान रहे हैं.
20151126
शहर ए जात व अंर्तद्वंद
जिंदगी चैनल पर एक नये शो की शुरुआत हुई है. शहर ए जात. इस शो की अभिनेत्री को अपनी ही बनाई एक मूर्ति से प्रेम हो जाता है. वह उस मूर्ति के रूप वाले लड़के को अपनी असल जिंदगी में तलाश करने लगती है. उस रूप में उसे एक लड़का मिल भी जाता है. सलमान.दोनों की शादी होती है और वह जिस तरह अपने मायके में काफी शान-ओ-शौकत से रही है. वह जिंदगी उसे यहां भी मिलती है. लेकिन सलमान का प्रेम उसे नहीं मिलता. उस वक्त वह खुद में घुटने लगती है. और उस वक्त वह अपने अंर्तद्वंद से लड़ाई शुरू करती है. उसे जब यह मालूम होता है कि सलमान किसी और से सिर्फ इसलिए प्यार करता है, क्योंकि दूसरी औरत को अल्लाह में यकीन है. जबकि उसने तो अल्लाह के बारे में कभी सुना ही नहीं. फिर वह अल्लाह व सुकून की तलाश में निकल पड़ती है. खुद की तलाश के मुद्दे पर बनी एक अत्यंत और रोचक कहानी है. यकीन नहीं होता कि हम किसी छोटे परदे पर ऐसी कहानियां देख रहे हैं. दरअसल, हिंदी टेलीविजन के निर्माताओं को शहर ए जात यानी सेल्फ डिस्कवरी की जरूरत है कि वे छोटे परदे को किस ओर लिये जा रहे हैं. गौर करें, तो पिछले कुछ महीनों में लगातार कई शोज बंद हुए हैं. बंद अगर इस लिहाज से हुए होते कि उनकी सीरिज ही सीमित थी. तो बात समझ आती. लेकिन मनमर्जिया जिसकी कहानी विज्ञापन जगत में काम करने वाले दोस्तों की कहानी थी. युवाओं के लिए यह नये तरीके का शो था. लेकिन शो को टीआरपी नहीं मिल पायी. और कुछ महीनों में ही शो को बंद कर दिया गया. जिस छोटे परदे पर साथ निभाना साथिया, ससुराल सिमर का जैसे शो की टीआरपी बढ़ रही है. यह शोध का विषय है कि आखिरकार वे कौन से दर्शक हैं, जो इस तरह के शोज को पसंद कर रहे हैं और चैनल दावे से ऐसे शोज को ही असल मनोरंजन मान रहे हैं.
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