किसी दौर में अभिनेता भरत भूषण का कद सुपरस्टार का था. लेकिन बाद के दौर में परिस्थिति ऐसी आ गयी कि उन्हें अपने मकान को बेच कर खुद की जीविका के लिए पैसे एकत्रित किये. राजेंद्र कुमार ने भी एक दौर में आसमान छुआ. लेकिन बाद के दौर में जाकर उन्होंने भी बुरी आर्थिक स्थिति से गुजरना पड़ा था. अमिताभ बच्चन का भी एक दौर ऐसा आया, जब नौबत दीवालिया होने तक आ गयी थी. लेकिन अमिताभ ने परिस्थिति का सामना करते न सिर्फ खुद को फिर से खड़ा किया, बल्कि अपनी कंपनी एबीसीएल को भी दोबारा पूरी तरह स्थापित किया. राज कपूर कभी अपनी महत्वकांक्षी फिल्म मेरा नाम जोकर की वजह से खस्ता हालात में पहुंच गये थे. गुरुदत्त ने भी बाद के दौर में मुफलिसी देखी. दरअसल, उस दौर में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग व्यवसायिक रूप से सोच कर फिल्म निर्माण में निवेश नहीं करते थे. उस दौर में अपने बैनर की फिल्मों का निर्माण करना सिर्फ शान की बात मानी जाती थी. जबकि बाद के दौर में जितने अभिनेताओं ने भी अपने प्रोडक् शन कंपनी की शुरुआत की, वे कामयाब रहे. उस दौर में अभिनेता शौक से फिल्में निर्माण करते थे. अपने बैनर से केवल अपने परिवार के लोगों को लांच करने की परंपरा थी. जबकि बाद के दौर में शाहरुख खान, आमिर खान, अजय देवगन और अब अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं ने सोच समझ कर नीति के साथ प्रोडक् शन हाउस को स्थापित किया. आमिर खान फिलवक्त अभिनेता व बतौर निर्माता सबसे सफल व्यवसासियों में से एक हैं. चूंकि उन्होंने एक नीति के तहत बाहरी प्रतिभाओं को भी मौके दिये. जरूरत न हो तो अपने प्रोडक् शन की फिल्मों में काम भी नहीं किया. शाहरुख ने रेड चिल्ली नामक बड़ी कंपनी स्थापित की. अक्षय और सलमान भी इसी राह में है. चूंकि अब ये सभी बुद्धिमानी के साथ निवेश कर रहे हैं, सो वे कामयाब बी रो रहे हैं
20121208
सफल अभिनेता सफल व्यवसायी
किसी दौर में अभिनेता भरत भूषण का कद सुपरस्टार का था. लेकिन बाद के दौर में परिस्थिति ऐसी आ गयी कि उन्हें अपने मकान को बेच कर खुद की जीविका के लिए पैसे एकत्रित किये. राजेंद्र कुमार ने भी एक दौर में आसमान छुआ. लेकिन बाद के दौर में जाकर उन्होंने भी बुरी आर्थिक स्थिति से गुजरना पड़ा था. अमिताभ बच्चन का भी एक दौर ऐसा आया, जब नौबत दीवालिया होने तक आ गयी थी. लेकिन अमिताभ ने परिस्थिति का सामना करते न सिर्फ खुद को फिर से खड़ा किया, बल्कि अपनी कंपनी एबीसीएल को भी दोबारा पूरी तरह स्थापित किया. राज कपूर कभी अपनी महत्वकांक्षी फिल्म मेरा नाम जोकर की वजह से खस्ता हालात में पहुंच गये थे. गुरुदत्त ने भी बाद के दौर में मुफलिसी देखी. दरअसल, उस दौर में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग व्यवसायिक रूप से सोच कर फिल्म निर्माण में निवेश नहीं करते थे. उस दौर में अपने बैनर की फिल्मों का निर्माण करना सिर्फ शान की बात मानी जाती थी. जबकि बाद के दौर में जितने अभिनेताओं ने भी अपने प्रोडक् शन कंपनी की शुरुआत की, वे कामयाब रहे. उस दौर में अभिनेता शौक से फिल्में निर्माण करते थे. अपने बैनर से केवल अपने परिवार के लोगों को लांच करने की परंपरा थी. जबकि बाद के दौर में शाहरुख खान, आमिर खान, अजय देवगन और अब अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं ने सोच समझ कर नीति के साथ प्रोडक् शन हाउस को स्थापित किया. आमिर खान फिलवक्त अभिनेता व बतौर निर्माता सबसे सफल व्यवसासियों में से एक हैं. चूंकि उन्होंने एक नीति के तहत बाहरी प्रतिभाओं को भी मौके दिये. जरूरत न हो तो अपने प्रोडक् शन की फिल्मों में काम भी नहीं किया. शाहरुख ने रेड चिल्ली नामक बड़ी कंपनी स्थापित की. अक्षय और सलमान भी इसी राह में है. चूंकि अब ये सभी बुद्धिमानी के साथ निवेश कर रहे हैं, सो वे कामयाब बी रो रहे हैं
THIS IS THE RIGHT WAY TO LIVE AND LEAVE.
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